कश्मीरी युवकों को पाकिस्तान का वीजा देकर बना रहे आतंकी, पाक उच्चायोग की संदिग्ध भूमिका
जिस तरह से पाकिस्तानी वीजा ले कर कश्मीरी युवक गायब हो रहे हैं उससे सुरक्षा एजेंसियों की चिंता काफी बढ़ गई थी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत ने पिछले दिनों यूं ही पाकिस्तान उच्चायोग को लेकर यह फैसला नहीं किया था कि उनके यहां कार्यरत कर्मचारियों की संख्या आधी की जाए। पाकिस्तान ने जिस तरह से हाल के दिनों में कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को हवा देने के लिए अलग- अलग तरह के तरीके आजमाने शुरू कर दिये थे, उससे भारतीय एजेंसियों के कान पहले से ही खड़े थे।
आतंकवाद के लिए तरह- तरह के हथकंडे अपना रहा पाकिस्तान
खास तौर पर जिस तरह से पाकिस्तानी वीजा ले कर कश्मीरी युवक गायब हो रहे हैं, उससे सुरक्षा एजेंसियों की चिंता काफी बढ़ गई थी। खुफिया एजेंसियों को इस बात का पता चला है कि पाकिस्तान सरकार ने पिछले तीन वर्षों में जम्मू व कश्मीर के 399 युवाओं को वीजा दिया था और इसमें से 218 गायब हैं। एजेंसियों का मानना है कि पिछले 3-4 वर्षों से बेहद कड़ी चौकसी की वजह से भारत-पाक नियंत्रण रेखा पार करना आतंकियों के लिए मुश्किल हो गया है।
वीजा पाने वाले कश्मीर के युवाओं को खुफिया एजेंसियों की नजर
पहले पाकिस्तान के एजेंट घाटी से युवाओं को बहका कर हथियार वगैरह की ट्रेनिंग के लिए नियंत्रण रेखा पार करवाते थे। लेकिन अब यह कठिन हो गया है। तब पाकिस्तान ने कश्मीरी युवाओं को सीधे वीजा देने का रास्ता बनाया है। लेकिन खुफिया एजेंसियां इन सभी पर नजर रखती हैं।
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लगभग तीन साल में जम्मू-कश्मीर के 399 युवाओं को वीजा, 218 गायब
जनवरी, 2017 के बाद से 399 युवाओं को वीजा देने के मामले की जब पड़ताल की गई तो यह सामने आया कि इनमें से 218 युवाओं का कोई पता नहीं है। भारतीय पासपोर्ट पर गये इन युवाओं की अंतिम गतिविधि पाकिस्तान में देखी गई है। इनमें से कई युवाओं की वीजा की अवधि भी समाप्त हो गई है लेकिन उनके भारत लौटने का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
मारे गए तीन आतंकियों ने भारतीय नियंत्रण रेखा क्रास कर भारत में प्रदेश किया
भारतीय एजेंसियां इसलिए भी सतर्क हुई हैं कि पिछले 5 अप्रैल, 2020 को केरान सेक्टर में सुरक्षा बलों के हाथों मारे गये लश्कर ए तैयबा के पांच आतंकियों के बारे में जब जानकारी जुटाई गई तो उसमें पाकिस्तानी उच्चायोग की भूमिका भी सामने आई। मारे गये पांच में से तीन आदील हसन मीर, उमर नाजिर खान और सज्जाद अहमद हुर्रा को पाकिस्तान उच्चायोग (नई दिल्ली) ने अप्रैल, 2018 में वीजा दिया था। इन्होंने 31 मार्च-1 अप्रैल की आधी रात को भारतीय नियंत्रण रेखा क्रास कर भारत में प्रवेश किया। बेहद आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी तंत्र से भारतीय एजेंसियां तभी से इनका पीछा कर रही थी।
गायब हुए इन युवाओं का इस्तेमाल कर सकता है पाकिस्तान
खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक गायब हुए इन युवाओं का इस्तेमाल पाकिस्तान किस तरह से कर रहा है, यह एक बड़ा खतरा है। खुफिया एजेंसियों को हाल ही में यह सूचना मिली थी कि जम्मू व कश्मीर में पुलवामा (फरवरी, 2019) जैसी घटना करवाई जा सकती है। इसके पीछे घाटी में आतंकियों के खिलाफ राज्य के सुरक्षा बलों व भारतीय सेना की कार्रवाई को अहम वजह बताया जा रहा है।
भारतीय सेना ने जिस तरह से पिछले एक वर्ष में भारी संख्या में आतंकियों को समाप्त किया है उससे पाकिस्तान में आतंकियों के आका काफी परेशान हैं। वह पुलवामा जैसी घटना को दोबारा अंजाम दे कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह साबित करना चाहते हैं कि स्थानीय लोग भारतीय सेना का मुकाबला कर रहे हैं।