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370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में आई कमी, 2020 में लगभग 64 फीसद की गिरावट

जम्मू-कश्मीर में साल 2019 की तुलना में 15 नवंबर 2020 तक आंतकवादी घटनाओं में कमी दर्ज की गई है। गृह मंत्रालय के अनुसार इस अवधी के दौरान विशेष बलों के कार्मिकों के हताहत होने की संख्या में 29.11 प्रतिशत की कमी आई है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 12:10 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 01:35 PM (IST)
370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में आई कमी, 2020 में लगभग 64 फीसद की गिरावट
आतंकी हमलों में हताहत होने वाले नागरिकों की संख्या में भी 14.28 प्रतिशत की कमी हुई है।

नई दिल्ली, एएनआइ। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आतंकी घटनाओं में लगातार कमी देखने को मिल रही है। गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) के अनुसार घाटी में 2019 की तुलना में 15 नवंबर 2020 तक आतंकवादी घटनाओं (Terrorist Incidents) की संख्या 63.93 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

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मंत्रालय ने बताया कि 2019 की अवधि की तुलना में 2020 में विशेष बलों के कार्मिकों की संख्या में 29.11 प्रतिशत और तहत होने वाले नागरिकों की संख्या में 14.28 प्रतिशत की कमी हुई है। गृह मंत्रालय ने वार्षिक उपलब्धियों के बारे में जानकारी देते हुए यह भी कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों के कानूनों को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लागू करना केंद्र सरकार की प्रमुख उपलब्धियों में से एक है।

एमएचए ने कहा, 'केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के संबंध में 48 केंद्रीय कानूनों और 167 राज्य कानूनों के अनुकूलन के लिए आदेश जारी किए गए थे। केंद्र शासित लद्दाख के लिए 44 केंद्रीय कानूनों और 148 राज्य कानूनों के अनुकूलन से संबंधित आदेश भी अधिसूचित किए गए थे। मंत्रालय ने कहा कि जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन आदेश, 2020 को 31 मार्च 2020 को अधिसूचित किया गया था।इसके अलावा केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की एक पीठ जम्मू में 8 जून 2020 को स्थापित की गई थी।

गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि गुलाम कश्मीर और छंब से आए 36,384 विस्थापित परिवारों को प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत प्रति परिवार 5.5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थियों (डब्ल्यूपीआर) के 5,764 परिवारों को भी 5.5 लाख रुपये प्रति परिवार की दर से एक बार की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।

बता दें कि 2019 में केंद्र के मोदी सरकार ने एतिहासिक कदम उठाते हुए धारा 370 को निरस्त कर ने के साथ ही जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख को दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में विभाजित कर दिया था। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में अपनी विधायिका है, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित क्षेत्र है।


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