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जम्मू एवं कश्मीर आधिकारिक भाषा बिल पर संसद की मुहर, हिंदी-कश्मीरी-डोगरी को मिला भाषा का दर्जा

केंद्र शासित प्रदेश के 74 फीसद लोग कश्मीरी और डोगरी बोलते हैं। रेड्डी ने कहा वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जम्मू एवं कश्मीर की केवल 0.16 फीसद आबादी उर्दू बोलती थी जबकि 2.3 फीसद हिंदी बोलती थी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 08:18 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 08:18 PM (IST)
जम्मू एवं कश्मीर आधिकारिक भाषा बिल पर संसद की मुहर, हिंदी-कश्मीरी-डोगरी को मिला भाषा का दर्जा
जम्मू एवं कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक, 2020 पर लगी संसद की मुहर।

नई दिल्ली, प्रेट्र। राज्यसभा ने जम्मू एवं कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक, 2020 को बुधवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। एक दिन पहले लोकसभा ने इस विधेयक पर मुहर लगाई थी। इस विधेयक के जरिये हिंदी, कश्मीरी और डोगरी को भी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है। इससे पहले तक सिर्फ उर्दू और अंग्रेजी को ही आधिकारिक भाषा का दर्जा था।

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गृह राज्यमंत्री ने कहा- जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की लंबे समय से मांग थी 

गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की लंबे समय से मांग थी कि जो भाषा वे बोलते हैं उन्हें भी आधिकारिक भाषा की सूची में शामिल किया जाए।

जम्मू एवं कश्मीर के 74 फीसद लोग कश्मीरी और डोगरी बोलते हैं, 0.16 फीसद लोग उर्दू 

उन्होंने उल्लेख किया कि केंद्र शासित प्रदेश के 74 फीसद लोग कश्मीरी और डोगरी बोलते हैं। रेड्डी ने कहा, वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, जम्मू एवं कश्मीर की केवल 0.16 फीसद आबादी उर्दू बोलती थी, जबकि 2.3 फीसद हिंदी बोलती थी। सरकार पंजाबी, गुर्जरी और पहाड़ी जैसी स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए भी कदम उठाएगी।


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