Ayodhya Case: सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दाखिल की पुनर्विचार याचिका
राम जन्मभूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पुनर्विचार याचिका दर्ज करा दी गई है।
नई दिल्ली, जेएनएन। अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की बात कही है। बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा, 'हम भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे लेकिन आज नहीं। याचिका का मसौदा तैयार है और 9 दिसंबर के पहले किसी भी दिन इसे कोर्ट के समक्ष दायर करेंगे।'
कही थी संवैधानिक अधिकारों की बात
17 नवंबर को ही जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा था कि कोर्ट के फैसले की समीक्षा के लिए वह अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करेगा। मामले में कुल दस याचिकाकर्ताओं में से एक उत्तर प्रदेश में जमीयत के जनरल सेक्रेटरी मौलाना अशद रशीदी पुनर्विचार याचिका दायर करने को आगे आए हैं। उनका कहना है कि मामले में कोर्ट के फैसले का पहला हिस्सा और दूसरा हिस्सा एक दूसरे का विरोधाभासी है। उनके अनुसार, कोर्ट ने इस बात पर सहमति जताई है कि यहां मस्जिद का निर्माण मंदिर तोड़कर नहीं किया गया था और 1992 का मस्जिद विवाद अवैध है। फिर कोर्ट ने यह जमीन दूसरे पक्ष को क्यों दे दिया।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी दाखिल करेगी याचिका
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मौलाना वली रहमानी का कहना है कि मुस्लिम समुदाय का कानून में भरोसा है इसलिए ही पुनर्विचार याचिका दायर की जा रही है। इससे पहले मामले में कोर्ट के फैसले को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दाखिल न करने का फैसला लिया था। वक्फ बोर्ड ने यह फैसला एक बैठक में किया था। इसमें कुल आठ लोग शामिल हुए थे जिसमें से छह पुनर्विचार याचिका दाखिल न किए जाने के पक्ष में थे।
ये था फैसला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, अयोध्या की विवादित जमीन रामलला विराजमान को सौंप दिया गया। अब इसपर राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। वहीं मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने का राज्य सरकार को आदेश दे दिया। आदेश में मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने को भी कहा गया है। इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी शामिल करने का आदेश है।