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हिंद-प्रशांत व्यापार शिखर सम्मेलन: जयशंकर ने कहा- दूसरी लहर से उबर रहा देश, दिखेगा मजबूत आर्थिक सुधार

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बाहर आ रहा है। महामारी के बाद भारत में मजबूत आर्थिक सुधार दिखेगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भारत विकास के इंजिन के रूप में योगदान देगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 07 Jul 2021 12:43 AM (IST)Updated: Wed, 07 Jul 2021 12:43 AM (IST)
हिंद-प्रशांत व्यापार शिखर सम्मेलन: जयशंकर ने कहा- दूसरी लहर से उबर रहा देश, दिखेगा मजबूत आर्थिक सुधार
वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए विकास के इंजन के रूप में योगदान करेगा भारत

नई दिल्ली, प्रेट्र। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बाहर आ रहा है। महामारी के बाद भारत में मजबूत आर्थिक सुधार दिखेगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भारत विकास के इंजन के रूप में योगदान देगा।

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जयशंकर ने कहा- दुनिया के लिए भारत एक अधिक गतिशील और मित्रवत व्यावसायिक गंतव्य होगा

हिंद-प्रशांत व्यापार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि कोरोना काल के बाद दुनिया के लिए भारत एक अधिक गतिशील और मित्रवत व्यावसायिक गंतव्य होगा और एक बहुत ही लचीला और भरोसेमंद सप्लाई चेन का हिस्सा होगा।

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विदेश मंत्री ने कहा- हिंद-प्रशांत वैश्वीकरण की हकीकत को दर्शाता है

विदेश मंत्री ने कहा, 'हिंद-प्रशांत वैश्वीकरण की हकीकत, बहुध्रुवीयता का उभरना और पुनर्संतुलन के फायदों को दर्शाता है। यह शीत युद्ध से उबरने और द्विध्रुवीय व्यवस्था एवं प्रभुत्व को खारिज करता है।'

जयशंकर ने कहा- वैश्विक समृद्धि एवं वैश्विक वाणिज्य को बढ़ावा देना सामूहिक हितों की अभिव्यक्ति है

जयशंकर ने कहा, 'हममें से अधिकतर के लिए यह वैश्विक समृद्धि एवं वैश्विक वाणिज्य को बढ़ावा देने के सामूहिक हितों की अभिव्यक्ति है।' उन्होंने कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आइपीओआइ) स्पष्ट रूप से यह साबित करती है।

पीएम मोदी ने आइपीओआइ के गठन का प्रस्ताव दिया था, ताकि समुद्री क्षेत्र का संरक्षण हो सके

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में बैंकाक में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में आइपीओआइ के गठन का प्रस्ताव दिया था, ताकि समुद्री क्षेत्र का संरक्षण और उसका सतत इस्तेमाल किया जा सके और सुरक्षित समुद्री क्षेत्र बनाने का सार्थक प्रयास हो सके।


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