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बूढ़े और कमजोर बाघों का नया ठिकाना होगा जगुआ सफारी, बढ़ रहे हैं आपसी संघर्ष

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 2018 की गणना के मुताबिक 124 है। बांधवगढ़ में आठ से दस साल उम्र वाले बाघों की संख्या लगभग 20 है। जबकि एक से तीन साल और तीन से छह साल उम्र वाले बाघों की संख्या यहां सबसे ज्यादा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 06:13 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 06:13 PM (IST)
बूढ़े और कमजोर बाघों का नया ठिकाना होगा जगुआ सफारी, बढ़ रहे हैं आपसी संघर्ष
भारत में बूढ़े और कमजोर बाघों की फाइल फोटो।

संजय कुमार शर्मा, उमरिया। टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ-साथ उनमें आपसी संघर्ष के मामले भी बढ़ रहे हैं। इसी साल क्षेत्र (टेरिटरी) की लड़ाई में छह बाघों की मौत हो चुकी है। युवा बाघ कमजोर और बीमार बाघों को आसानी से अपना निशाना बना लेते हैं, इसे देखते हुए मध्य प्रदेश पर्यटन और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व द्वारा बाघों को रुखने के लिए जंगल में बीस हेक्टेयर का एक बड़ा बाड़ा बनाया जाएगा। इससे बुजुर्ग बाघ तो सुरक्षित रहेंगे ही, पर्यटकों को भी आसानी से बाघ दिखाई दे सकेंगे।

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उमरिया और कटनी जिले की सीमा पर रिजर्व के पनपथा बफर रज के जगुआ गांव में बीस करोड़ रुपये की लागत से यह टाइगर सफारी बनाने का प्रस्ताव राज्य शासन को और अनुमति के लिए नेशनल जू अथॉरिटी को भी भेजा गया है।
 
यह है बांधवगढ़ की स्थिति
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 2018 की गणना के मुताबिक 124 है और यहां ज्यादातर बाघ युवा हैं। बांधवगढ़ में आठ से दस साल उम्र वाले बाघों की संख्या लगभग 20 है। जबकि एक से तीन साल और तीन से छह साल उम्र वाले बाघों की संख्या यहां सबसे ज्यादा है यानी आने वाले समय में वे बुजुर्ग होंगे और युवा बाघों की वजह से उनका रहना मुश्किल होगा, इसलिए पहले से उन्हें सुरक्षित रखने की योजना बनाई जा रही है। साथ ही, बाड़े में रखे जाने से बाघों पर आसानी से नजर रखी जा सकेगी और उनका संरक्षण भी अच्छे से हो सकेगा।
 
बढ़ रही है टेरिटोरियल फाइट

रिजर्व में टेरिटोरियल फाइट (रहवास या क्षेत्र के लिए संघर्ष) लगातार बढ़ रही है। बाघों को लगभग न्यूनतम बीस किमी का क्षेत्र टेरिटरी के लिए चाहिए होता है। रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ने के कारण उनकी बहुलता वाला कोर क्षेत्र अब कम पड़ने लगा है। बांधवगढ़ में कोर और बफर जोन मिलाकर कुल क्षेत्रफल 1602 वर्ग किमी है।

 
पहले वाली भूल नहीं
रिजर्व में चार साल पहले भी खितौली में टाइगर सफारी बनाने का काम शुरू किया गया था, लेकिन उस समय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और नेशनल जू अथॉरिटी की अनुमति के बिना काम शुरू कर दिया गया था। इस मामले में जब आरटीआइ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने शिकायत की तो एनटीसीए ने टाइगर सफारी का काम रुकवा दिया था। प्रबंधन ने बाद में अनुमति के लिए आवेदन किया तो मामला हाईकोर्ट में चला गया और इसमें फैसला नहीं हुआ है। इस बार रिजर्व प्रबंधन ने पहले वाली भूल नहीं दोहराई और प्रस्ताव भेजकर अनुमति मांगी है।
 
मध्‍य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी फील्ड डायरेक्टर  सिद्धार्थ गुप्‍ता ने कहा क‍ि टाइगर सफारी बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद इस पर काम शुरू होगा।
 

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