जानिए क्यों यह शख्स 25 साल से कह रहा है- 'मैं वो अजय वर्मा नहीं हूं साहब...!'
आपने भी 'वीर-जारा' जरूर देखी होगी। पाकिस्तानी जेल में बंद वीर 22 साल तक किसी से बात नहीं करता। गलत पहचान का ऐसा ही मामला छत्तीसगढ़ में भी सामने आया है।
रायपुर, [अनुज सक्सेना]। आपने भी शाहरुख खान, प्रीति जिंटा और रानी मुखर्जी की फिल्म 'वीर-जारा' जरूर देखी होगी। पाकिस्तानी जेल में बंद वीर 22 साल तक किसी से बात नहीं करता। यही नहीं जब एक पाकिस्तानी वकील सामिया सिद्दीकी उसका केस लड़ती हैं तो विपक्षी वकील जाकिर अहमद बार-बार वीर को कैद नंबर 786 कहकर पुकारते हैं। इससे परेशान होकर सामिया भी जाकिर को किसी और नाम से पुकारने लगती हैं, इस पर जाकिर गुस्सा हो जाते हैं और चिल्लाते हुए अपना नाम बताते हैं। जबकि पिछले 22 साल से वीर प्रताप सिंह का नाम किसी ने नहीं लिया था, हर कोई उसे कैदी नंबर 786 कहकर पुकारता था। अब आप सोच रहे होंगे कि हमने आपको फिल्म की यह कहानी क्यों बतायी। दरअसल छत्तीसगढ़ में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति पिछले 25 साल से थाने के चक्कर लगाकर कह रहा है... 'मैं वो अजय वर्मा नहीं हूं साहब...!'
क्या है पूरा मामला
नगर निगम का एक बाबू और उसका परिवार पिछले 25 साल से पुलिस की कारस्तानी से परेशान है। कारण सिर्फ एक है। दरअसल, चार थानों की पुलिस लूट, चोरी, सट्टा, मारपीट के मामले में बार-बार कोर्ट का सम्मन लेकर बाबू के घर पहुंच जाती है। हर बार बाबू को पुलिस के सामने यह साबित करना पड़ता है, जिसे वह ढूंढ रही है, वह कोई और है। दरअसल, बाबू और पुलिस जिस आरोपी की तलाश कर रहे हैं, दोनों का नाम और सरनेम एक है। पता भी आसपास का है। इस कारण बाबू को सफाई देने के लिए तीन बार कोर्ट में खड़ा भी होना पड़ा है।
नाम एक जैसा होने से हो रही दिक्कत
रायपुर नगर निगम मुख्यालय के जनसंपर्क विभाग में क्लर्क के पद पर अजय वर्मा कार्यरत हैं। एक दिन ये कार्यालय थोड़ी देर से पहुंचे, क्योंकि इन्हें कोर्ट सम्मन के कारण गुढ़ियारी थाना जाना पड़ गया था। पुलिस के सामने टेबल पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और पेन कार्ड रखा। बताया कि उनका नाम अजय वर्मा पिता बीपी वर्मा, निवासी आशीर्वाद हॉस्पिटल के पीछे डंगनिया है। संतुष्ट होने के बाद पुलिस ने उन्हें जाने दिया।
25 साल से एक ही गलती कर रही पुलिस
यह कोई एक दिन का वाकया नहीं है, पिछले 25 साल से अजय वर्मा को यही करना पड़ रहा है। इन्हें थाने से चोरी के मामले का पहला सम्मन तब आया था, जब वे 19 साल के थे। अब इनकी उम्र 44 साल हो गई है। माजरा यह है कि गुढ़ियारी, आजाद चौक, डीडीनगर और पुरानी बस्ती थाना की पुलिस को अजय वर्मा नाम के एक व्यक्ति की तलाश है, जिसके नाम पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। पुलिस से हर बार गड़बड़ी यह हो रही कि अपराधी के नाम को पढ़कर सम्मन तामिल कराने पहुंच जाती है, जबकि सम्मन में अपराधी का नाम अजय वर्मा, पिता डीपी वर्मा, निवासी हनुमान मंदिर के पास डंगनिया लिखा होता है।
बिना अपराध पुलिस की कार्रवाई और सजा से बचने के लिए नगर निगम के बाबू अजय वर्मा को थाने पहुंचकर बताना होता है कि वे अपराधी अजय वर्मा नहीं हैं।
कलेक्टर और एसपी से लगाएंगे गुहार
पुलिस सिर्फ नाम से अजय वर्मा का घर पूछती है, तो आसपास के लोग नगर निगम के बाबू का घर बता देते हैं। बाबू अजय वर्मा का कहना है कि पुलिस और आपराधिक मामलों के सम्मन के कारण कॉलोनी के लोगों के बीच छवि खराब होने का डर लगा रहता है। इस कारण जल्द ही वे कलेक्टर और एसपी से मिलेंगे। चार थानों की पुलिस की लापरवाही की शिकायत कर परेशानी से निजात दिलाने की अपील करेंगे।