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जदयू होगी केन्द्र सरकार में और पार्टी संस्थापक शरद होंगे बाहर, जानिए ऐसा क्यों

बिहार में भी एनडीए के बैनर तले नीतीश कुमार चुनाव लड़ेंगे और केन्द्र में भी मोदी की अगुवाई में उनकी भूमिका स्टार प्रचारक के तौर पर हो सकती है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 12 Aug 2017 03:46 PM (IST)Updated: Sat, 12 Aug 2017 05:15 PM (IST)
जदयू होगी केन्द्र सरकार में और पार्टी संस्थापक शरद होंगे बाहर, जानिए ऐसा क्यों

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। महागठबंधन छोड़कर बिहार में भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से नई सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार के इस कदम से बिहार की राजनीति पूरी तरह बदल चुकी है। नीतीश कुमार की अगुवाई वाला जेडीयू जल्द ही केन्द्र में एनडीए सरकार का हिस्सा हो जाएगा क्योंकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने नीतीश कुमार को केन्द्र सरकार में शामिल होने का निमंत्रण दिया है।

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ऐसे में सवाल ये उठता है कि आनेवाले दिनों में किस तरह का बिहार में सियासी समीकरण देखने को मिलेगा? आनेवाले लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा और जेडीयू की बिहार में क्या रणनीति रहनेवाली है ? आइये आपको विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।

मोदी से मिलने के बाद नीतीश की शरद को दो टूक

बिहार में भाजपा के समर्थन से 27 जुलाई को नई सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार जब दिल्ली आए तो उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शुक्रवार को पहली मुलाकात थी। नीतीश ने मोदी के साथ हुई इस मुलाकात को महज एक औपचारिक मुलाकात करार दिया। उन्होंने बताया कि बिहार की विकास योजनाओं के लिए जल्द ही पीएम मोदी से अगस्त के आखिर में एक बार फिर मिलेंगे।

इसके साथ ही नीतीश ने पीएम मोदी से मुलाकात के बाद शरद यादव के बगावती तेवर पर पहली बार खुलकर अपनी बात रखते हुए उन्हें दो टूक जवाब दे दिया। नीतीश ने कहा कि उन्होंने नई सरकार बनाने का फैसला सर्वसम्मति के आधार पर लिया था। उन्होंने कहा कि कुछ भी करने से पहले पार्टी के लोगों से जरूर पूछता हूं। ऐसे में शरद यादव को जो भी फैसला लेना है उसके लिए वह पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।

अमित शाह ने दिया सरकार में शामिल होने का न्यौता
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को नीतीश कुमार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का न्यौता दिया है। नीतीश कुमार पीएम मोदी से मुलाकात के बाद भाजपा अध्यक्ष से उनके आवास पर मिले थे। ऐसा माना जा रहा है कि जेडीयू को केन्द्र सरकार में दो या तीन अहम मंत्रालय दिया जा सकता है। लेकिन, इससे पहले जेडीयू की 19 अगस्त को बुलाई गई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केंद्र सरकार में शामिल होने पर फैसला हो सकता है। 

नीतीश की शरद यादव पर बड़ी कार्रवाई
जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शरद यादव पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें राज्यसभा में पार्टी के  नेता पद से हटा दिया है। इसको लेकर जेडीयू की तरफ से उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पत्र लिखा गया है। पार्टी ने शरद यादव की जगह आरसीपी सिंह को राज्यसभा में अपना नेता चुना है। शरद पर इस कार्रवाई से पहले अली अनवर को भी निलंबित किया जा चुका है। राज्यसभा में जेडीयू के कुल दस सांसद हैं।

19 अगस्त को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बड़ा फैसला
ऐसा माना जा रहा है कि 19 अगस्त को बुलाई गई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर जहां जेडीयू फैसला ले सकता है। वहीं दूसरी तरफ जिस तरह से नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोलकर शरद यादव बिहार में जन संवाद रैली कर रहे है और बिहार की ग्यारह करोड़ जनता के साथ नीतीश का धोखा बता रहे हैं, उसके बाद पार्टी शरद यादव के ऊपर बड़ी कार्रवाई कर बाहर का रास्ता दिखा सकती है।

शरद पर कार्रवाई से जेडीयू पर कितना असर?

शरद यादव के बगावती तेवर के बाद पार्टी से उनकी बर्खास्तगी लगभग तय मानी जा रही है। इस बारे में Jagran.com से खास बातचीत में राजनीतिक विश्लेषक सुरेन्द्र किशोर ने बताया, चूंकि इस वक्त शरद यादव राजनीति की मुख्यधारा में नहीं हैं इसलिए उनके जाने से जेडीयू को कोई नुकसान नहीं होने वाला है। उन्होंने बताया कि शरद यादव इस वक्त एक अतिथि कलाकार की तरह पार्टी में अपनी भूमिका निभा रहे हैं और ऐसे कलाकार आते-जाते रहते हैं। 

क्या लालू के साथ आएंगे शरद यादव

बिहार की राजनीति में गहरी पकड़ रखने वाले सुरेन्द्र किशोर की मानें तो शरद यादव जल्द ही आरजेडी के साथ आ सकते हैं। उसकी वजह ये है कि लालू इस वक्त कई परेशानियों से घिरे हुए हैं। आरजेडी में उनके बेटे अभी मैच्योर नहीं है। लालू यादव चाहते हैं कि शरद यादव उनके बेटे तेजस्वी के लिए एक अच्छे सलाहकार की भूमिका में रहें। इसके लिए वे आनेवाले दिनों में अपनी पार्टी से शरद को खड़ा कर सकते हैं।    

बदल जाएगा केन्द्र और बिहार में सियासी समीकरण
जेडीयू के केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद पूरी तरह से बिहार और राष्ट्रीय राजनीति में समीकरण बदल जाएगा। कल तक जिस नीतीश कुमार को विपक्ष की तरफ से धर्मनिरपेक्षता का बड़ा नेता माना जा रहा था और विपक्षी दल उनकी अगुवाई के बारे में सोच रही थी वो अब करीब डेढ़ साल बाद आनेवाले लोकसभा चुनाव में पिछले चुनाव के उलट मोदी के पक्ष में चुनाव् प्रचार करते हुए दिखेंगे।

बिहार में भी एनडीए के बैनर तले नीतीश कुमार चुनाव लड़ेंगे और केन्द्र में भी मोदी की अगुवाई में उनकी भूमिका स्टार प्रचारक के तौर पर हो सकती है। जबकि, उसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव में भी पिछली बार के विधानसभा चुनाव की तुलना में पूरा विपरीत सियासी गणित होगा और जेडीयू-भाजपा के सामने मुख्य चुनौती देनेवाले दल के रूप में होगी आरजेडी और कांग्रेस। 

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