रूस और अमेरिका के बीच टकराव से भारत को उठाना पड़ सकता है नुकसान
रूस और अमेरिका के बीच आए टकराव का असर भारत पर भी दिखाई दे सकता है। दोनों देशों के बीच यह टकराव भारत के लिए सही नहीं होगा।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। रूस और अमेरिका में बढ़ती तनातनी का असर कहीं न कहीं दुनिया के दूसरे देशों पर भी पड़ सकता है। जिस तरह से दाे महाशक्तियों के बीच तकरार बढ़ती जा रही है वह किसी भी सूरत में सही नहीं है। जानकार मानते हैं दोनों देशों के बीच आया टकराव भारत के लिए सही नहीं होगा। इन संबंधों के जल्द सुधरने की भी फिलहाल कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। इसका जिक्र खुद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी किया है। 755 अमेरिकी राजनयिकों को रूस छोड़ने का फरमान सुनाने के बाद उन्होंने यह बात कही है। हालांकि रूस से अमेरिकी राजनयिकों को बाहर निकालने का फैसला तो शुक्रवार को ही हो गया था, लेकिन इसकी संख्या अब सामने आई है।
उनके फैसले के बाद रूस और अमेरिका में बराबर संख्या में कर्मचारी होंगे। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपने बयान में यहां तक कहा कि रूस में 1000 से अधिक अमेरिकी लोग काम कर रहे थे, लेकिन इनमें से 755 लोगों को रूस में अपनी गतिविधियां रोकनी होंगी और वापस जाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वह दूसरे कदम भी उठा सकते थे, लेकिन फिलहाल वह इस पक्ष में नहीं हैं। रूस ने इसके साथ ही अमरीकी राजनयिकों द्वारा इस्तेमाल की जा रही हॉलिडे प्रॉपर्टी और गोदाम को भी वापस लेने की घोषणा की है। अमेरिका ने रूस के इस कदम पर अफसोस जताया है। अमेरिका का कहना है कि काफी इंतजार के बाद उन्होंने कदम उठाया था। ऐसा उन्हें तब करना पड़ा जब स्थिति में बदलाव नहीं आया। लेकिन दूसरी तरफ अमेरिका, रूस को इसका माकूल जवाब देने की भी रणनीति पर काम कर रहा है।
रक्षा विशेषज्ञ पूर्व मेजर जनरल पीके सहगल का कहना है कि रूस और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव भारत के लिए सही नहीं होगा। ऐसा होने से रूस और चीन के बीच रिश्तों में नजदीकी आएगी जो, किसी भी सूरत में भारत के हित में नहीं होगी। उनके मुताबिक चीन की गलती की वजह से भारत और अमेरिका के बीच जो नजदीकी आई है, वहीं नजदीकी रूस और चीन में आ सकती है, जिसकी वजह अमेरिका होगा, जो सही नहीं होगा।
दरअसल, चीन रक्षा के क्षेत्र में रूस से काफी हथियार चाहता है। अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव से चीन और रूस के बीच नजदीकी होगी और बहुत हद तक संभव है कि वह रूस से कई हथियार भी हासिल करने में सफल हो जाए। जिससे न सिर्फ भारत बल्कि खुद अमेरिका की चिंता बढ़ जाएगी। सहगल के मुताबिक इस तनाव के पीछे काफी कुछ हाथ अमेरिका का है। उनका कहना है कि जिस तरह से नाटो को जरूरत से ज्यादा आगे और रूस के बॉर्डर तक पहुंचा दिया गया है और जिस तरह से अमेरिका अपनी मिसाइल प्रणाली को कई देशों में लगा रहा है, उससे रूस की सुरक्षा को खतरा होना स्वाभाविक है।
गौरतलब है कि दिसंबर में ओबामा प्रशासन ने हिलेरी क्लिंटन के अभियान के कथित हैकिंग के जवाब में अमेरिका में दो रूसी अहाते को अपने कब्जे में लेने के साथ ही 35 रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया था। व्हाइट हाउस की आपत्तियों के बावजूद रूस पर ताजा अमेरिकी प्रतिबंधों को कांग्रेस के दोनों सदनों ने अनुमोदित किया था। वहीं रूस पर पिछले राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में चुनाव को मोड़ने की कोशिश करने का भी आरोप है, जिसकी जांच चल रही है। हालांकि रूस इस तरह के किसी भी दखल से इंकार करता रहा है और ट्रंप भी इसको गलत बताते रहे हैं।