चुनाव आयोग में नीतीश कुमार की जीत, जानें- शरद यादव का दांव क्यों पड़ा उल्टा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व पार्टी अध्यक्ष शरद यादव से खुलेआम कहा कि अगर उनके पास आंकड़े हैं तो वे पार्टी को तोड़ लें।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। महागठबंधन का साथ छोड़ने के बाद नीतीश के खिलाफ झंडा उठाने वाले जेडीयू से बागी हुए पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को चुनाव आयोग ने जोर का झटका दिया है। पार्टी सिंबल पर अपना दावा जताने वाले शरद यादव को चुनाव आयोग से नाकामी हाथ लगी है। आयोग ने सबूतों के अभाव में शरद यादव कैंप के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें जेडीयू का सिंबल उन्हें देने के लिए आवेदन दिया गया था।
चुनाव आयोग से शरद कैंप को झटका
चुनाव आयोग की तरफ से पत्र भेजकर यह कहा गया कि शरद यादव कैंप की तरफ से दावे को लेकर सांसद या विधायकों के समर्थन का किसी तरह का कोई सबूत या एफिडेविट पेश नहीं किया गया। इसके अलावा, शरद यादव के बागी गुट की तरफ से जो आवेदन जावेद रज़ा की तरफ से दिया गया था उस पर रज़ा का हस्ताक्षर नहीं था। चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा, “यही वजह है कि चुनाव आयोग ने सिंबल ऑर्डर के पैरा 15 के तहत उस आवेदन पर किसी तरह का कोई संज्ञान नहीं लिया।”
शरद यादव के दावे में नहीं था दम- अजय आलोक
जेडीयू नेता अजय आलोक ने Jagran.com से खास बातचीत में बताया कि शरद यादव के दावे में कोई दम नहीं था। वे चुनाव आयोग के पास तो गए, लेकिन उनके पास कागजात के तौर पर कोई सबूत नहीं था। ऐसे में जब चुनाव आयोग ने उनसे डॉक्यूमेंट्स के तौर पर सबूत मांगा तो उनके सारे दावे धरे के धरे रह गए। जाहिर है चुनाव आयोग की तरफ से शरद का दावा खारिज होना, उनके लिए बड़ा झटका माना जा रहा है जो अपने आपको असली जेडीयू बता रहे थे।
शरद यादव ने नीतीश को बताया था धोखेबाज
गौरतलब है कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटने के बाद राजनीति के हाशिए पर आ चुके शरद यादव उस वक्त अचानक सुर्खियों में आ गए जब उन्होंने नीतीश कुमार के बिहार में महागठबंधन का साथ छोड़ने और भाजपा के साथ हाथ मिलाने का पुरजोर विरोध किया। शरद यादव ने कहा कि नीतीश कुमार ने जो किया है वह बिहार की जनता के साथ धोखा है, क्योंकि चुनाव महागठबंधन के नाम पर लड़ा गया था।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू ने फूट की खबर को लगातार निराधार बताया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शरद यादव से खुलेआम कहा कि अगर उनके पास आंकड़े हैं तो वे पार्टी तोड़ लें। उधर, राज्यसभा से सदस्यता जाने को लेकर कार्रवाई के खतरे के बावजूद शरद ने भाजपा के खिलाफ साझी विरासत सम्मेलन का आयोजन किया। इसके साथ ही शरद यादव लगातार पटना में जाकर नीतीश के खिलाफ लोगों के बीच गए और लालू यादव की पटना में हुई रैली में पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर शामिल हुए थे।
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