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शर्मनाक! फिर सिरहन पैदा करती है बैरकपुर में महिलाओं पर तेजाब फेंकने की घटना

पश्चिम बंगाल के बैरकपुर की घटना ने एक बार फिर से सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। यहां पर महिला ने ही तीन महिलाओं पर तेजाब फेंक दिया था।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 05:22 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 05:22 PM (IST)
शर्मनाक! फिर सिरहन पैदा करती है बैरकपुर में महिलाओं पर तेजाब फेंकने की घटना
शर्मनाक! फिर सिरहन पैदा करती है बैरकपुर में महिलाओं पर तेजाब फेंकने की घटना

कोलकाता (जेएनएन)। महानगर से सटे उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर इलाके में तीन महिलाओं के ऊपर तेजाब फेंके जाने की ताजा घटना ने एक बार फिर सिहरन पैदा कर दी है। यह उन महिलाओं का सौभाग्य था कि उन पर फेंका गया तेजाब म्यूरेटिक एसिड था जिसकी वजह से कोई विशेष क्षति नहीं हुई। पर उन तीनों के साथ ही पूरा इलाका दहशत की चपेट में है। बैरकपुर के बीजपुर थाना क्षेत्र के कांचरापाड़ा के पाल्लादह अंचल में खरीदे गए मकान पर कब्जा जमाए बैठी महिला से तीनों महिलाएं मकान खाली कराने गई थीं। उस महिला ने ही तेजाब फेंक दिया। इस घटना ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसकी एक बड़ी वजह गुजरे शुक्रवार को रिलीज हुई दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘छपाक’ भी है।

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छपाक तेजाब पीड़ित महिलाओं की कहानी है। इस फिल्म के रिलीज होने के साथ ही एसिड पीड़ितों की व्यथा को लेकर देश भर में बहस चल रही है। पश्चिम बंगाल में तीनों महिलाओं पर तेजाब फेंके जाने की घटना पहली घटना नहीं है। ऐसी घटनाओं की बेशुमार कहानियां हैं और तेजाब के जख्मों की टीस भुगत रहीं अनगिनत महिलाएं हैं। कड़े मानकों के बावजूद खुलेआम हो रही तेजाब की बिक्री बेहद चिंताजनक है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने अभी ताजा आंकड़ा जारी किया जिसमें एक वर्ष में देश भर में एसिड के हमले में 240 लोगों का चेहरा बदरंग हो गया। इस हमले में कुल 57 फीसद महिलाएं शिकार हुईं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक एसिड हमले के सर्वाधिक मामले पश्चिम बंगाल में दर्ज हुए जिनमें 53 लोगों को इसका शिकार बनाया गया। इस वर्ष तेजाबी हमले में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर चला गया है, जबकि पिछली बार वह पहले स्थान पर था। पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान से उठकर पहले स्थान पर आ गया है। ये आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि तेजाबी हमले पर रोक लगाने की दिशा में पश्चिम बंगाल में कारगर कदम नहीं उठाए गए। छपाक से किसी चेहरे पर तेजाब उड़ेल कर ताजिंदगी जख्म देने वाले क्रूर अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए कोई ऐसी पहल नहीं हो सकी कि उनमें दहशत हो। ताकि कोई और फिर ऐसा कदम न उठा सके।

बैरकपुर की घटना में तो महिला ने ही तीनों महिलाओं पर तेजाब फेंका है। इस घटना के बाद एक युवा अधिवक्ता ने तो टिप्पणी की कि बहुत कुछ गलत करना फिल्में भी सिखाती हैं। उनकी दलील थी कि छपाक में भी तेजाब महिला ही फेंकती है। बहरहाल इन दलीलों से ऊपर सोचने की बात यह है कि ऐसे अपराध पर कैसे अंकुश लगे। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए। कारण यह कि तेजाब के हमले से पीड़ितों की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है। पीड़ितों को मात्र आर्थिक सहायता देकर उनके जख्मों पर मरहम नहीं लगाया जा सकता। सरकार को तेजाब की बिक्री नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। सरकार को स्वयं भी समय-समय पर इसके लिए जिलों से जानकारी लेनी होगी।


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