Independence Day 2020: गलवन घाटी में चीनी सेना का साहसपूर्ण सामना करने वाले ITBP के 294 जवान सम्मानित
पूर्वी लद्दाख में चीन-भारत की सीमा पर दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसका सामना करने वाले ITBP के साहसी जवानों को वीरता पदक से सम्मानित किया जाएगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना का सामना करने वाले ITBP के कुल 294 जवानों को शुक्रवार को डायरेक्टर जनरल (DG) प्रशंसा पत्र और प्रतीक चिह्न से सम्मानित किया गया। ITBP ने उन 21 जवानों के नाम गृह मंत्रालय को भेजा और बहादुरी पदक के लिए अनुशंसा किया है। ITBP के डीजी एस एस देसवाल नं 6 अन्य जवानों को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ अभियानों के लिए डी जी प्रशंसा पत्र और प्रतीक चिन्ह प्रदान किया।
ITBP ने बताया कि किस तरह इसके जवानों ने देश की रक्षा के खातिर अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी और PLA (Chinese People's Liberation Army) को सबक सिखाया। ITBP के जवानों ने पूर्वी लद्दाख में हिंसक झड़प के दौरान शील्ड का प्रभावशाली उपयोग किया और पूरे साहस और पराक्रम के साथ संख्या में अधिक चीनी जवानों का सामना करते हुए उन्हें देश में घुसने नहीं दिया। बता दें कि जवानों ने बेहतरीन युद्ध कौशल का परिचय देते हुए कंधे से कंधा मिलाकर बहादुरी से संघर्ष किया और कई घायल सेना के जवानों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। ITBP के जवानों ने पूरी रात चीनी सैनिकों का सामना किया और 17 से 20 घंटों तक उन्हें जवाबी कार्रवाई करते हुए रोके रखा।
इस हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। चीन के भी 40 जवान इस झड़प में मारे गए जिसे बीजिंग ने बाद में स्वीकार किया। इसके साथ ही ITBP ने अपने 318 जवानों के नाम और 40 अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के जवानों के नाम केंद्रीय गृह मंत्री स्पेशल ऑपरेशन ड्यूटी मेडल के लिए भेजे हैं। जिन्होंने महामारी कोविड-19 के प्रसार को रोकने और अन्य प्रयासों में अहम योगदान दिया है।
ITBP की ओर से देश का पहला 1000 बिस्तरों का क्वारंटाइन केंद्र छावला में बनाया जिसमें वुहान और बाद में इटली के भारतीय नागरिकों को रखा गया। इसके अलावा इसने नई दिल्ली में 10000 बिस्तरों वाले विश्व के सबसे बड़े सरदार कोविड केयर सेंटर और हॉस्पिटल को भी शुरू किया है। करीब 90 हजार ITBP के जवान 3,488 किमी लंबे चीनी सीमा, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात हैं। यह सीमा लद्दाख में काराकोरम दर्रे से अरुणाचल प्रदेश में जासेप ला तक जाती है।