ITR फाइल करने का आखिरी महीना- किस तरह के आय पर कितना टैक्स, जानें सभी जरूरी बातें
आईटीआर फाइल करने का यह आखिरी महीना चल रहा है ऐसे में इससे जुड़ी कई ऐसी चीजें हैं जिसके बारे में लोग अभी भी अनजान होंगे। यहां जानें किस तरह के आय पर किस तरह का टैक्स लगाया जाता है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2018 है। आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करना कई लिहाज से करदाताओं के लिए फायदेमंद होता है। आईटीआर फाइल करने का यह आखिरी महीना चल रहा है ऐसे में इससे जुड़ी कई ऐसी चीजें हैं जिसके बारे में लोग अभी भी अनजान होंगे। आईटीआर फॉर्म में अपने वेतन और कमाई का पूरा ब्योरा देने के अलावा कई ऐसी चीजें भी हैं जिसके बारे में जानना जरुरी है।
आपको बता दें कि अपनी कमाई के अलावा अन्य दूसरे माध्यम से हुई आय या उससे हुए नुकसान का ब्योरा देना भी जरूरी है। यहां पर अन्य तरह से होने वाली कमाई का मतलब है, अगर आपने अपनी जमीन या संपत्ति की बिक्री की हो, सोने की बिक्री की हो चाहे शेयर या म्यूचुअल फंड में किए गए निवेश से होने वाली आय हो। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस तरह की कमाई का ब्योरा भी आपको अपने आईटीआर फॉर्म में शामिल करना चाहिए। यहां हम आपको बता रहे हैं किस तरह के आय पर किस तरह का टैक्स लगाया जाता है।
दो तरह से कर लगेगा
सोना, शेयर या इसी प्रकार के अन्य तरह से होने वाले लाभ पर दो तरह से टैक्स लगाया जाता है। शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म। ये दोनों प्रकार के टैक्स उसे रखे जाने की समय-सीमा पर निर्भर करता है। सामान्य रूप से इस प्रकार की कमाई से आने वाली आय की गणना बेची गई राशि से खरीद लागत को घटाकर किया जाता है।
रीयल एस्टेट से हुई आय पर टैक्स
अगर खरीदी गई अचल संपत्ति (जमीन, घर, फ्लैट) को खरीद के दो साल के भीतर बेचा जाए तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) लगेगा लेकिन इसे यदि दो साल से ज्यादा अवधि में बेचा जाए तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) लगेगा। इसमें एसटीसीजी (कैपिटल गेन) टैक्स स्लैब के आधार पर लगेगा जबकि एलटीसीजी पर 20 फीसदी होगा।
शेयर और म्यूचुअल फंड से आयपर टैक्स
अगर किसी शेयर या म्यूचुअल फंड को खरीदने के एक साल के भीतर के उसे बेचा जाए तो इस पर एसटीसीजी लगेगा, जबकि खरीद के एक साल से ज्यादा समय के बाद बिक्री पर एलटीसीजी जोड़ा जाएगा। चालू वित्तीय वर्ष के लिए एसटीसीजी 15 फीसदी है, जबकि एलटीसीजी पर अभी कर से छूट है। लेकिन अगले वित्त वर्ष 2019-20 से इक्विटी के एलटीसीजी पर एक लाख से ज्यादा आय पर 10 फीसदी टैक्स जोड़ा जाएगा। हालांकि इनके ट्रॉजेक्शन पर लगने वाली फीस की राशि को बाद में क्लेम किया जा सकेगा।
सोना और बॉन्ड बेचने से आने वाले आय पर टैक्स
अगर सोना या बॉन्ड को खरीदने के तीन साल के भीतर बेचा जाएगा तो इस पर एसटीसीजी लगेगा, जबकि इसके बाद एलटीसीजी लगाया जाएगा। सोने पर एसटीसीजी टैक्स स्लैब के आधार पर लगेगा जबकि एलटीसीजी 20 फीसदी सूचीकरण के साथ। इसी तरह सूचीबद्ध कॉरपोरेट बॉन्ड को एक साल के भीतर बेचने पर एसटीसीजी लगेगा जो टैक्स स्लैब के आधार पर होगा। यदि इसे एक साल के बाद बेचा जाएगा तो 10 फीसद टैक्स लगेगा।