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Kachre Se Azadi: निस्तारण से पहले कचरे को समझना जरूरी, जानें विशेषज्ञ की राय

Kachre Se Azadi नालों एवं सड़कों की अनियमित सफाई और सड़क के किनारे कचरे के निस्तारण की आदत के कारण विभिन्न तरह के रोगों के फैलने का खतरा भी हमेशा बना रहता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 08:58 AM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 09:16 AM (IST)
Kachre Se Azadi: निस्तारण से पहले कचरे को समझना जरूरी, जानें विशेषज्ञ की राय
Kachre Se Azadi: निस्तारण से पहले कचरे को समझना जरूरी, जानें विशेषज्ञ की राय

डॉ नरेंद्र कुमार। Kachre Se Azadi पर्यावरण को बचाने के लिए जितना पेड़, वायु और जल जरूरी है, उससे कहीं कम जरूरी कूड़ा निस्तारण भी नहीं है। कूड़ा प्रबंधन की बात करने से पहले हमें कूड़े को लेकर अपनी समझ बढ़ानी होगी। ठोस अपशिष्ट के पृथक्करण एवं भंडारण न होने के कारण यह समस्या और विकराल हो गयी है। नालों एवं सड़कों की अनियमित सफाई और सड़क के किनारे कचरे के निस्तारण की आदत के कारण विभिन्न तरह के रोगों के फैलने का खतरा भी हमेशा बना रहता है।

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80 फीसद कूड़ा खुली जगह पर होता है निस्तारित: मात्र 20 फीसद कूड़े का ही सही निस्तारण किया जा रहा है। 80 फीसद कूड़ा खुले में फेंका जाता है। ऐसे में पहले कूड़े के स्नोत पर ही अपशिष्ट की छंटाई की जानी चाहिए, जिससे गीला और सूखा कूड़ा अलग किया जा सके। इसके बाद ही उसका निस्तारण करना चाहिए। कूड़े की पहचान हो जाएगी, तो पर्यावरण भी संरक्षित रहेगा और लोगों में इसके निस्तारण के प्रति लगाव भी पैदा किया जा सकेगा। इको फ्रेंडली होना जरूरी: पूजा के बाद प्रतिमाओं को इधर-उधर फेंकने के बजाय ऐसे मटेरियल से उसे बनाया जाए, जो इको फ्रेंडली हो। गाय के गोबर से प्रतिमाएं व दीपक बनाकर उसे निस्तारित करने की पहल सराहनीय है। मिट्टी और पुआल की बनी प्रतिमाएं भी जमीन में मिल जाती हैं। इससे नदियों में भी प्रदूषण का खतरा कम होगा।

जरूरी हैं चार ‘आर’

  • पहला रिड्यूस: कूड़े का न्यूनतम उत्पादन किया जाए।
  • दूसरा रियूज: कूड़े में मौजूद योग्य वस्तुओं का फिर उपयोग किया जाए।
  • तीसरा रिसाइकल: कूड़े में मौजूद वस्तुओं का निस्तारण कर उपयोग के योग्य बनाया जाए।
  • चौथा रिकवर: कूड़े में उपस्थित मूल्यवान वस्तुओं का पृथक्करण किया जाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि स्वच्छता का अभियान एक सफर है, जो निरंतर चलता रहेगा। खुले में शौच से मुक्ति के बाद अब दायित्व और बढ़ गया है। देश को ओडीएफ के बाद अब ओडीएफ प्लस के लक्ष्य पर काम चल रहा है। अब हमें शहर हो या गांव, कचरे के मैनेजमेंट को, बेहतर बनाना है। हमें कचरे से कंचन बनाने के काम को तेज़ करना है। इस संकल्प के लिए आज भारत छोड़ो आंदोलन के दिन से बेहतर दिन और कौन सा हो सकता है?

(आठ अगस्त को राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र के उद्घाटन पर दिए भाषण का अंश)

एसोसिएट प्रोफेसर, पर्यावरण विज्ञान विभाग, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय


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