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इसरो ने नहीं छोड़ी उम्‍मीद, चांद पर दिन निकलते ही लैंडर विक्रम से फिर होगी संपर्क की कोशिश

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद की सतह पर पड़े लैंडर विक्रम से दोबारा संपर्क स्थापित करने की उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 06:38 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 07:04 PM (IST)
इसरो ने नहीं छोड़ी उम्‍मीद, चांद पर दिन निकलते ही लैंडर विक्रम से फिर होगी संपर्क की कोशिश
इसरो ने नहीं छोड़ी उम्‍मीद, चांद पर दिन निकलते ही लैंडर विक्रम से फिर होगी संपर्क की कोशिश

 बेंगलुरु, प्रेट्र। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद की सतह पर पड़े लैंडर विक्रम से दोबारा संपर्क स्थापित करने की उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं। चांद पर अभी रात है और इसरो को वहां दिन निकलने का इंतजार है। इसरो प्रमुख ने कहा है कि दिन निकलने के बाद लैंडर से फिर संपर्क स्थापित करने की कोशिश की जाएगी।

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चांद पर हुई थी सॉफ्ट लैंडिंग

पिछले महीने की सात तारीख को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान लैंडर विक्रम से भू स्टेशन से संपर्क टूट गया था। लैंडर की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई थी। चांद की सतह पर वह आड़े तिरछे पड़ गया था, जिससे उससे सिंग्नल नहीं मिल रहा था। लैंडर विक्रम को चांद पर एक दिन ही काम करना था। चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है। विक्रम पर लगे सोलर पैनल को सूरज की रोशनी से ऊर्जा मिलती। लेकिन वहां रात होने के बाद उसकी बैटरी डिस्चार्ज हो गई है। 10 दिन पहले इसरो ने लैंडर से संपर्क स्थापित करने की कोशिशें रोक दी थी।

इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने मंगलवार को यहां कहा कि चांद पर अभी रात है। रात गुजरने के बाद हम विक्रम से संपर्क स्थापित करने की कोशिशें फिर शुरू कर सकते हैं। रात की वजह से विक्रम को ऊर्जा नहीं मिल रही है और उसकी बैटरी खत्म हो गई होगी।

ऑर्बिटर ठीक तरह से कर रहा काम

भारत का चंद्रयान-2 मिशन बहुत ही जटिल मिशन था। चंद्रयान-2 के तीन हिस्से थे। पहला हिस्सा ऑर्बिटर ठीक तरह से काम कर रहा है। वह चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा है और उम्मीद है साढ़े सात साल तक वह अहम जानकारियां देता रहेगा। विक्रम और उसके अंदर छिपे रोवर प्रज्ञान को वहां एक चंद्र दिवस काम करना था, जो गुजर चुका है।

चांद की सतह पर तेजी से टकराने से पहुंचा नुकसान

इसरो के एक अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखते हुए कहा कि इतने दिनों बाद लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करना बहुत मुश्किल है, लेकिन प्रयास करने में हर्ज ही क्या है। यह पूछे जाने पर रात के वक्त चांद पर पड़ने वाली अत्यधिक ठंड से विक्रम पर कोई असर नहीं पड़ा होगा, अधिकारी ने कहा कि सिर्फ ठंड ही नहीं, लैंडर चांद की सतह पर बहुत तेजी से टकराया था उससे भी उसे भारी नुकसान पहुंचा होगा। उसके अंदर के कई हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए होंगे।

अधिकारी ने बताया कि इसरो द्वारा गठित विशेषज्ञों की समिति लैंडर के हार्ड लैंडिंग और संपर्क टूटने के कारणों का पता लगा रही है। उम्मीद है एक महीने के भीतर कमेटी अपनी रिपोर्ट दे देगी, उसके बाद आगे की योजना पर काम किया जाएगा।

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