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GSAT 7A सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च, 100 गीगाबाइट होगी इंटरनेट स्पीड, वायुसेना को सौगात

इससे पहले इसरो ने पांच दिसंबर 2018 को अब तक के सबसे भारी-भरकम उपग्रह ‘जीसैट-11’ को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 05:28 PM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 04:51 PM (IST)
GSAT 7A सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च, 100 गीगाबाइट होगी इंटरनेट स्पीड, वायुसेना को सौगात
GSAT 7A सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च, 100 गीगाबाइट होगी इंटरनेट स्पीड, वायुसेना को सौगात

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। इसरो ने अपने बहुप्रतीक्षित उपग्रह जीसैट-7ए को बुधवार को निर्धारित समय शाम 4ः10 बजे सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। जीसैट-7ए इसरो का 35वां संचार सैटेलाइट है। इससे देश की संचार व्यवस्था को और मजबूत करने में मदद मिलेगी। इससे इंटरनेट की रफ्तार बढ़ेगी। भारतीय वायुसेना के लिए ये सैटेलाइट काफी अहम है। इससे पहले इसरो ने पांच दिसंबर 2018 को अब तक के सबसे भारी-भरकम उपग्रह ‘जीसैट-11’ को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। 

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इसरो के मुताबिक संचार सैटेलाइट जीसैट-7ए को उपग्रह प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एफ-11 के जरिए श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे स्टेशन से लॉन्च किया गया है। इसके लिए मंगलवार को ही तैयारियां पूरी काउंट डाउन शुरू कर दिया गया था। इसरो ने पांच दिसंबर को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियानेस्पेस के फ्रेंच गुआना से संचाल सैटेलाइट जीसैट-11 के सफल प्रक्षेपण के बाद ही अपनी 35वीं संचार सैटेलाइट ‘जीसैट-7ए’ के प्रक्षेपण की घोषणा कर दी थी।

आठ साल का होगा ये मिशन
इसरो के अनुसार दिसंबर माह में लॉन्च हो रहे दोनों संचार सैटेलाइट देश में संचार सुविधाएं बेहतर करेंगे। इसका सबसे ज्यादा लाभ इंटरनेट यूजर्स को मिलेगा। माना जा रहा है कि इससे इंटरनेट की रफ्तार तेज होगी। जीसैट-7ए भारतीय क्षेत्र में केयू बैंड में उपयोगकर्ताओं को संचार क्षमता प्रदान करेगा। इसरो के अनुसार जीसैट-7ए सैटेलाइट मिशन की अवधि आठ साल होगी।

GSAT-7A की अन्य कुछ अहम बातें...
1. इसरो (ISRO) अध्यक्ष डॉ के. सीवन ने मीडिया को बताया, "यह अत्याधुनिक सैटेलाइट है, जिसे ज़रूरतों के हिसाब से बनाया गया है। यह सबसे दूरदराज के इलाकों में भी हाथ मे पकड़े जाने वाले उपकरणों तथा उड़ते उपकरणों से भी संपर्क कर सकता है।"
2. इस सैटेलाइट से भारतीय वायुसेना को वह ताकत मिलेगी, जिसकी उसे बहुत ज़रूरत है। भारतीय वायुसेना (IAF) को इससे इन्टीग्रेटेड एयर कमांड तथा हवाई लड़ाकों के लिए कंट्रोल सिस्टम में संचार का एक ताकतवर पहलू जुड़ जाएगा। अब तक IAF ट्रांसपॉन्डर किराये पर लिया करती थी, जिसकी जासूसी करना आसान था।
3. भारतीय नौसेना के पास सिर्फ उसके इस्तेमाल के लिए एक सैटेलाइट GSAT-7 पहले से है, जिसे 'रुक्मणि' भी कहा जाता है। इसे 2013 में लॉन्च किया गया था। GSAT-7 नौसेना को हिन्द महासागर क्षेत्र में 'रीयल-टाइम सिक्योर कम्युनिकेशन्स कैपेबिलिटी' उपलब्ध कराता है। इससे विदेशी ऑपरेटरों द्वारा संचालित उपग्रहों के भरोसे रहने की ज़रूरत खत्म हो जाती है, जिन पर नज़र रखा जाना आसान होता है।
4. हाल में रक्षा मंत्रालय ने विशेष 'डिफेंस स्पेस एजेंसी' के गठन को मंज़ूरी दी थी। ये तीनों सेनाओं की इन्टीग्रेटेड (एकीकृत) इकाई होगी। साथ ही अंतरिक्ष में मौजूद सभी भारतीय संपत्ति का इस्तेमाल सशस्त्र सेनाओं के लाभ के लिए करेगी।
5. GSAT-7 और GSAT-6 के साथ मिलकर GSAT-7A संचार उपग्रहों का एक बैन्ड तैयार करेगा, जिससे भारतीय सेना को संचार व्यवस्था में काफी मदद मिलेगी।
6. देश के पास रीजनल सैटेलाइट नैविगेशन सिस्टम भी है, जो मिसाइलों को सटीक निशाने साधने में मदद करता है।
7. यह ISRO का वर्ष 2018 का रिकॉर्ड 17वां मिशन है। श्रीहरिकोटा से ये 69वां रॉकेट लॉन्च किया गया है।

1983 में हुई थी संचार उपग्रहों की शुरूआत
भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट) प्रणाली, पृथ्वी की कक्षा (Geo-Stationary Orbit) में स्थापित नौ प्रचलनात्मक संचार उपग्रहों सहित एशिया पेसिफिक क्षेत्र में सबसे बड़े घरेलू संचार उपग्रहों में से एक है। इन्सैट-1बी से शुरुआत करते हुए इसकी स्थारपना 1983 में की गई। इसने भारत के संचार क्षेत्र में एक महत्व्पूर्ण क्रांति की शुरूआत की तथा बाद में भी इसे बरकरार रखा। वर्तमान में प्रचलनात्मक संचार उपग्रह हैं इन्सैट-3ए, इन्सैट-3सी, इन्सैट-3ई, इन्सैट-4ए, इन्सैट-4बी, इन्सैट-4सीआर, जीसैट-6, जीसैट-7, जीसैट-8, जीसैट-9, जीसैट-10, जीसैट-12, जीसैट-14, जीसैट-15, जीसैट-16 व जीसैट-18। सी, विस्तासरित सी. तथा केयू बैण्डोंग में 200 से ज्यादा ट्रांसपाउंडर्स सहित यह प्रणाली दूर संचार, दूरदर्शन, प्रसारण, उपग्रह समाचार संग्रहरण, सामाजिक अनुप्रयोग, मौसम पूर्वानुमान, आपदा चेतावनी तथा खोज और बचाव कार्यों में सेवाएं दे रही हैं।

कितना बड़ा था सबसे वजनी जीसैट-11 सेटेलाइट

  • 5,854 किलोग्राम है जीसैट-11 उपग्रह का वजन
  • 04 मीटर हैं इसके हरेक सौर पैनल की लंबाई
  • 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर होगा स्थापित
  • 15 साल से अधिक होगा इसका जीवनकाल
  • 500 करोड़ रुपये लगभग है इसकी लागत

जीसैट-11 की खासितें

  • 40 ट्रांसपॉण्डर लगे हैं जीसैट-11 उपग्रह में केयू-बैंड और केए-बैंड आवृत्तियों के
  • 14 गीगाबाइट प्रति सेकंड की दर से डाटा भेजने में सक्षम हैं ये ट्रांसपॉण्डर
  • इस तरह यह उच्च बैंडविड्थ संपर्क प्रदान करने में सक्षम है
  • इससे देश में इंटरनेट की रफ्तार में उल्लेखनीय सुधार आएगा
  • सूचना तकनीक के और उन्नत उपकरण बनाए जा सकेंगे
  • ग्राम पंचायतों तक को इसके जरिये कवर किया जा सकेगा, जिससे ई-गवर्नेंस को बढ़ावा मिलेगा
  • ज्यादा से ज्यादा इंटरनेट उपभोक्ताओं के डाटाबेस का संचालन करने में इससे मदद मिलेगी

इंटरनेट क्रांति के लिए चार उपग्रह

  • देश में इंटरनेट क्रांति के लिए चार उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना है
  • इनमें से जीसैट-19 व जीसैट-29 पहले ही प्रक्षेपित किए जा चुके हैं
  • जीसैट-11, 5 दिसंबर को रात 2:07 से 3:23 बजे के बीच छोड़ा गया।
  • जीसैट-7ए, 19 दिसंबर को लॉन्च किया जाएगा।
  • जीसैट-20 अगले साल प्रक्षेपित किया जाएगा

इसरो अध्यक्ष के शिवन के अनुसार, उच्च प्रवाह क्षमता वाले चार उपग्रहों का प्रक्षेपण, साल 2019 से देशभर में 100 से अधिक गीगाबाइट की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

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