बीत गए तीन दिन; अब तक 'विक्रम' लैंडर से कम्युनिकेशन नहीं, ISRO वैज्ञानिकों का प्रयास जारी
ऑर्बिटर द्वारा भेजी गई तस्वीरों से लैंडर के लोकेशन का पता तो चल गया लेकिन अब तक कम्युनिकेशन नहीं बन पाया है। तमाम वैज्ञानिक लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश में जुटे हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मंगलवार को ट्वीट कर बताया कि लैंडर विक्रम से संपर्क स्थापित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए तमाम वैज्ञानिक जुटे हुए हैं, लेकिन अब तक किसी तरह का संपर्क नहीं हो पाया है। बता दें कि चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर अपने स्थान पर पहुंच कर बेहतर काम कर रहा है। ऑर्बिटर द्वारा ही विक्रम लैंडर को लोकेट किया गया।
चांद के चक्कर लगा रहा है ऑर्बिटर
फिलहाल ऑर्बिटर चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर की दूरी पर सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है। हालांकि, 2379 किलो वजन के ऑर्बिटर को एक साल तक के मिशन के लिए प्रोग्राम किया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि उसमें इतना ईंधन है कि वह सात सालों तक अपना काम जारी रखेगा।
ऑर्बिटर में हैं ये इंस्ट्रूमेंट्स
चंद्रयान 2 ऑर्बिटर में हाई रिजोल्यूशन कैमरा समेत आठ इंस्ट्रूमेंट हैं। इसी कैमरे ने चंद्रमा की सतह पर पड़े विक्रम की तस्वीर भेजी है। तस्वीर के अनुसार, विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उस जगह के बिल्कुल करीब है जहां उसे लैंड करना था। हालांकि, वह झुका हुआ है। वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि हो सकता है उसके उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए हों। इसरो वैज्ञानिक ने बताया, 'विक्रम से संपर्क स्थापित करने का हमारा प्रयास अभी नहीं रुका है।'
इसरो के अनुसार, चंद्रयान 2 काफी जटिल मिशन था। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच नई जानकारियां देने वाले थे। हालांकि, कुछ कारणों से चंद्रमा की सतह से कुछ दूर पहले ही पृथ्वी का संपर्क लैंडर से टूट गया जो अब तक स्थापित नहीं हो पाया है। 22 जुलाई को चंद्रयान 2 के लॉन्च के बाद से ही न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया की उम्मीदें इसपर हैं।
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