कार्टोसैट -3 और 13 अन्य सेटेलाइट को इस दिन लॉन्च करेगा इसरो, जानें भारत को किन क्षेत्रों में मिलेगी मदद
22 मई को इसरो ने कार्टोसैट -2 - एक पृथ्वी इमेजिंग सेटेलाइट भेजा था जिसमें मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरे थे।
नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 27 नवंबर को लगभग 27 मिनट में 14 उपग्रहों को लॉन्च करके इतिहास रचने की तैयारी में है। यह प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा रॉकेट बंदरगाह से सुबह 9.28 बजे शुरू होगा। इसरो 14 उपग्रहों के साथ अपने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण उपग्रह (PSLV-XL) संस्करण को भेजेगा।
1,625 किग्रा का कार्टोसैट -3 उपग्रह का मुख्य सामान भारत का होगा, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड को शुल्क भुगतान किए जाने वाले के बाद इसरो की नई वाणिज्यिक शाखा के 13 अमेरिकी नैनोसेटलाइट्स सवारी को साझा करेंगे। अपनी उड़ान के पहले 17 मिनट में पीएसएलवी रॉकेट पहले कार्टोस्टेट की आर्बिट में परिक्रमा करेगा, जिसमें पांच साल का एक मिशन जीवन होगा।
अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार कार्टोसैट -3 एक तीसरी पीढ़ी का फुर्तीला, उन्नत उपग्रह है जिसमें उच्च-रिजॉल्यूशन इमेजिंग क्षमता है, जो अंतरिक्ष से भारत की सीमाओं की निगरानी करने में भी मदद करेगा। इसे 97.5 डिग्री के झुकाव पर 509 किमी की कक्षा में रखा जाएगा। यह उपग्रह उच्च गुणवत्ता वाले फोटो दिलाएगा, जो ग्रामीण संसाधन, शहरी नियोजन, तटीय भूमि उपयोग, बुनियादी ढांचे के विकास, भूमि कवर आदि की मांग को पूरा करते हैं। लगभग एक मिनट बाद 13 अमेरिकी नैनोसैटेलाइटों में से एक को कक्षा में रखा जाएगा।
अंतिम नैनोसेटेलाइट को 26 मिनट, 50 सेकंड पर प्रयोजन के लिए कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा। अमेरिका के 12 नैनोसैटलाइट्स को फ्लैक-4पी (FLOCK-4P) के रूप में नामित किया गया है, जबकि पृथ्वी का अवलोकन उपग्रह है जबकि तेरहवें का नाम मेशबेड (MESHBED) है जो एक संचार टेस्ट बेड सेटेलाइट है।
PSLV-XL 320 टन भारी और 44 मीटर लंबा रॉकेट है जो वैकल्पिक रूप से ठोस और तरल ईंधन द्वारा संचालित होता है। प्रारंभिक उड़ान चरणों के दौरान अतिरिक्त जोर देने के लिए इसमें छह स्ट्रैप ऑन बूस्टर मोटर्स हैं। इससे पहले 22 मई को इसरो ने कार्टोसैट -2 - एक पृथ्वी इमेजिंग सेटेलाइट भेजा था, जिसमें मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरे थे। यह आई इन द स्काई ’के रूप में भी प्रसिद्ध है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब इसरो श्रीहरिकोटा से साल में हुए सभी सैटेलाइटों की लॉन्चिंग सैन्य उद्देश्यों से कर रहा है।