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Gaganyaan: इसरो ने डीआरडीओ से मिलाया हाथ, चंद्रयान-2 पर जनसमर्थन के लिए जताया आभार

इसरो और डीआरडीओ ने गगनयान परियोजना के लिए मानव केंद्रित प्रणालियां विकसित करने के लिए एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। जानें क्‍या है नया प्‍लान...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 07:54 AM (IST)Updated: Wed, 18 Sep 2019 10:47 AM (IST)
Gaganyaan: इसरो ने डीआरडीओ से मिलाया हाथ, चंद्रयान-2 पर जनसमर्थन के लिए जताया आभार
Gaganyaan: इसरो ने डीआरडीओ से मिलाया हाथ, चंद्रयान-2 पर जनसमर्थन के लिए जताया आभार

नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने गगनयान परियोजना के लिए मानव केंद्रित प्रणालियां विकसित करने को सहमति-पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया, डीआरडीओ की तरफ से इसरो को कुछ महत्वपूर्ण तकनीक उपलब्ध कराई जाएगी। इनमें अंतरिक्ष में भोजन संबंधी तकनीक, अंतरिक्ष जाने वाले दल की सेहत पर निगरानी, सर्वाइवल किट, विकिरण मापन और संरक्षण तथा पैराशूट आदि शामिल हैं। 

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मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी) के निदेशक डॉ. एस. उन्नीकृष्णन नैयर की अध्यक्षता में इसरो के वैज्ञानिकों के एक दल ने यहां डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं के साथ करार किए हैं। इन करारों के तहत मानव अंतरिक्ष मिशन से जुड़ी तकनीक तथा मानव केंद्रित प्रणालियां मुहैया कराई जाएंगी। 

डीआरडीओ के अध्यक्ष जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि रक्षा एप्लीकेशन के लिए डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं की मौजूदा तकनीकी क्षमताओं को इसरो के मानव अंतरिक्ष मिशन की जरूरतों के हिसाब से ढाला जाएगा। डीआरडीओ के वैज्ञानिक और महानिदेशक (जीवन विज्ञान) डॉ. एके सिंह ने कहा कि डीआरडीओ मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए इसरो को सभी जरूरी सहयोग मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उल्लेखनीय है कि इसरो ने 2022 में भारत की स्वतंत्रता के 75 वषर्ष पूरे होने से पहले मानव के अंतरिक्ष में पहुंचने की क्षमता प्रदर्शित करने की योजना बनाई है। 

इसरो ने देशवासियों के प्रति आभार जताया 

इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के बाद भी साथ देने के लिए देशवासियों के प्रति आभार जताया है। इसरो ने मंगलवार को ट्वीट करके कहा, 'हमारा साथ देने के लिए धन्यवाद। दुनिया भर में भारतीयों की उम्मीदों और सपनों के बल पर हम आगे ब़़ढना जारी रखेंगे। हमें हमेशा आसमान छूने के लिए प्रेरित करने के लिए धन्यवाद।' उल्लेखनीय है कि विगत सात सितंबर को चांद पर लैंडिंग के महज 2.1 किलोमीटर पहले लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया था।  


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