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कोराना के कारण भारतीय मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' में होगी थोड़ी देरी : इसरो प्रमुख

इसरो प्रमुख के. सिवन (K Sivan) ने कहा है कि भारतीय मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान में कोरोना महामारी की वजह से थोड़ा विलंब होगा। हालांकि इसरो नवंबर के पहले हफ्ते से रॉकेट लांच की अपनी गतिविधियां फिर शुरू कर देगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 06:04 AM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 06:04 AM (IST)
कोराना के कारण भारतीय मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' में होगी थोड़ी देरी : इसरो प्रमुख
इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा है कि मिशन 'गगनयान' में कोरोना संकट के चलते थोड़ा विलंब होगा।

चेन्नई, आइएएनएस। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. सिवन ने सोमवार को बताया कि भारतीय मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' में कोरोना महामारी की वजह से थोड़ा विलंब होगा। साथ ही उन्होंने बताया कि इसरो नवंबर के पहले हफ्ते से रॉकेट लांच की अपनी गतिविधियां फिर शुरू कर देगा। इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस-2020 के प्लेनरी सेशन में एक सवाल का जवाब देते हुए सिवन ने यह जानकारी दी।

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उन्‍होंने कहा कि भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन को अगस्त-2022 में लांच करने का लक्ष्य था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से यह लक्ष्य हासिल करने में थोड़ा विलंब होगा। याद दिला दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में कहा था कि 2022 में जब देश अपनी आजादी की 75 साल पूरे कर रहा होगा तो भारत का कोई बेटा या बेटी गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में उड़ान भर रहा होगा।

हाल ही में इसरो के ही एक अंग विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक एस. सोमनाथ ने बताया था कि मिशन 'गगनयान' में मानव अंतरिक्ष उड़ान रॉकेट में सुरक्षा के लिहाज से अहम प्रणालियों के चार बैकअप होंगे। मिशन के लिए जीएसएलवी का इस्तेमाल किया जाएगा। किसी विशेष काम के लिए उसमें कई सेंसर लगे होंगे। अगर उनमें से कोई एक खराब होता है तो दूसरे काम करेंगे। उन्‍होंने यह भी बताया था कि जीएसएलवी एमके-3 रॉकेट के डिजायन में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है।

उल्‍लेखनीय है कि भारत एक हफ्ते के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को कक्षा में भेजने की योजना बना रहा है। इसरो नवंबर या दिसंबर, 2020 में किसी समय अपने रीयूजेबल लांच व्हीकल (आरएलवी) या स्पेस शटल की लैंडिंग परीक्षण की योजना भी बना रहा है। इसरो का लक्ष्य अमेरिकी स्पेस शटल की तर्ज पर आरएलवी का निर्माण करना है जो सेटेलाइट को कक्षा में पहुंचाकर अगले मिशन के लिए धरती पर वापस आ सके। 


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