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अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ाने को शीघ्र नीति बदलेगा भारत, इसरो प्रमुख बोले- निजी क्षेत्र को लेंगे साथ

भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए जल्द ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की नीति को संशोधित करेगा। इसमें विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाई जा सकती है। इससे अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के विकास कार्यो को तेज गति मिलेगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 10:42 PM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 11:20 PM (IST)
अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ाने को शीघ्र नीति बदलेगा भारत, इसरो प्रमुख बोले- निजी क्षेत्र को लेंगे साथ
भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए जल्द ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की नीति को संशोधित करेगा।

चेन्नई, आइएएनएस। भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए जल्द ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की नीति को संशोधित करेगा। इसमें विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाई जा सकती है। इससे अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के विकास कार्यो को तेज गति मिलेगी। यह बात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने सीआइआइ (कन्फेडेरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री) के कार्यक्रम में कही है।

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सीआइआइ ने बिल्डिंग न्यूस्पेस इन इंडिया, थीम पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन और प्रदर्शनी आयोजित की है। अंतरिक्ष विभाग के सचिव की हैसियत से सिवन ने कहा, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में निवेश के लिए बहुत सी विदेशी कंपनियां इच्छुक हैं। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का भविष्य बहुत उज्ज्वल है, इसलिए सब उससे जुड़ना चाहते हैं। इसी को ध्यान में रखकर एफडीआइ नीति में परिवर्तन किया जा रहा है।

सिवन ने कहा कि हम निजी क्षेत्र के साथ मिलकर अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। अभी तक अंतरिक्ष क्षेत्र में होने वाले विदेशी निवेश को सरकार स्वीकृति देती है। लेकिन कंपनियां और उद्योग चाहते हैं कि यह प्रक्रिया आटोमैटिक मोड में हो। नीदरलैंड्स की कई कंपनियां भारत के साथ कई तरह के सेटेलाइट बनाने और उनकी लांचिंग में सहयोग की इच्छुक हैं।

इससे पहले सीआइआइ की अंतरिक्ष मामलों की राष्ट्रीय समिति के प्रमुख और एंट्रिक्स कार्पोरेशन के चेयरमैन राकेश शशिभूषण ने कहा, बीते वर्ष दुनिया का अंतरिक्ष क्षेत्र का वार्षिक कारोबार चार प्रतिशत की दर से बढ़कर 447 अरब डालर (32.90 लाख करोड़ रुपये) का हो गया। इसमें 49 प्रतिशत हिस्सा वाणिज्यिक क्षेत्र का है। लेकिन इस 49 प्रतिशत में भारत का हिस्सा केवल दो प्रतिशत का है। इसलिए निजी क्षेत्र का सहयोग लेकर हम अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं। 


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