ISI कश्मीर में करती रहेगी आतंक का समर्थन, बंद नहीं होंगे टैरर कैंप : हैन
जर्मन शोधकर्ता और पाॅलिटिकल साइंटिस्ट हेन किसलिंग ने अपनी एक किताब में लिखा है कि ISI हर कीमत पर कश्मीर में अलगाववादियों को समर्थन देती रहेगी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के शीर्ष पर चाहे कोई भी रहे, लेकिन वह भारत के खिलाफ आतंक फैलाना बंद नहीं करेगी। न ही भारत को लेकर उसकी पॉलिसी में कोई बदलाव आएगा। क्योंकि वह भारत को कश्मीर मुद्दे पर अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है और पाकिस्तान के नेताओं के लिए भी यह बड़ा मुद्दा है। इस बात का जिक्र जर्मन के शोधकर्ता और जानेमाने पाॅलिटिकल साइंटिस्ट और इतिहासकार हेन किसलिंग ने अपनी एक किताब में किया है। उन्होंने करीब 13 वर्ष पाकिस्तान में बिताए हैं और वहां के इंटेलिजेंस और मिलिट्री पर शोध किया है।
बुक लॉन्च में बोले हैन
ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने अपनी एक किताब का भी विमोचन किया। उन्होंने कहा कि पाक की खुफिया एजेंसी हर हाल में कश्मीर में अलगाववादियों को समर्थन जारी रखेगी। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उसके शीर्ष पर कौन है। वह आतंकिेयों के टैरर कैंप को भी बादस्तूर जारी रखेगी। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी पर लिखी किताब Faith, Unity, Discipline: The ISI of Pakistan' में उन्होंने कई अन्य बातों का भी जिक्र किया है। इस किताब का जर्मनी में वर्ष 2011 में पहली बार प्रकाशन किया गया था। अब इसके इंडियन एडिशन को लॉन्च किया गया है।
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ISI का प्रॉक्सी वार
इस किताब में उन्होंने कहा है कि आईएसआई के इस प्रॉक्सी वार में कभी तेजी तो कभी मंदी जरूर आ सकती है, लेकिन मोटे तौर पर यह जारी रहेगा। कश्मीर को लेकर न तो पाकिस्तान की सोच और न ही उसकी रणनीति में कोई परिवर्तन आ सकता है। कश्मीर समेत अफगानिस्तान में आईएसआई पूरी तरह से फोकस करती है। उन्होंने कहा कि उनके विचारों में कश्मीर समस्या का समाधान एक तय दायरे के अंदर रहकर सुलझ सकता है।
ISI की सबसे बड़ी कमजोरी
अपनी इस किताब में किसलिंग ने लिखा है कि आईएसआई की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी भू-राजनीतिक स्थिति पर ढीली पकड़ रही है। यही वजह है कि वह हमेशा से ही कहती आई है कि 9/11 किया गया वहां का अपना एक षड़यंत्र था और पूरी तरह से आंतरिक था। हालांकि किसलिंग उनके इस दावे को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहते हैं कि यह संभव नहीं है कि आईएसआई के अधिकारियों को इस हमले की जानकारी पहले से न हो। उन्हें यह भी पता था कि सबसे बड़ा आतंकी सरगना उनके ही देश में एबटाबाद में छिपा हुआ बैठा है। इसके अलावा वह मुंबई हमले समेत रेमंड डेविस मामले के बारे में भी पूूरी जानकारी रखते थे।
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करीब से देखा हैै पाकिस्तान में बदलाव
हेन किसलिंग वर्ष 1989 से लेकर वर्ष 2002 तक पाकिस्तान में रहे हैं। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान को न्यूक्लियर पावर बनने के साथ-साथ वहां पर मिलिट्री रूल भी देखा है। इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान में आए हर बदलाव को बेहद करीब से देखा है। फिर चाहे वह सेना का सत्ता के शीर्ष पर आना रहा हो या फिर दोबारा किसी नेता का सत्ता पर काबिज होना रहा हो। अपनी किताब के कवर पेज पर भी उन्होंने आईएसआई के उद्भव, उसकी नाकामी, उसकी सफलता और मौजूदा समय में इसकी देश और विदेश में पकड को अंकित किया है। इसके अलावा आईएसआई का कश्मीर और अफगानिस्तान में दखल को भी उन्होंने कवर पेज पर मेंशन किया है।
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