Move to Jagran APP

भारत पर भी भारी पड़ेगा ईरान-सऊदी अरब विवाद

भारत की असल चिंता खाड़ी के देशों में काम करने वाले 80 लाख भारतीयों की है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 10 Nov 2017 08:32 PM (IST)Updated: Fri, 10 Nov 2017 08:32 PM (IST)
भारत पर भी भारी पड़ेगा ईरान-सऊदी अरब विवाद
भारत पर भी भारी पड़ेगा ईरान-सऊदी अरब विवाद

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सऊदी अरब और ईरान बिल्कुल आमने सामने हैं। बुधवार को खाड़ी देशों के एक मजबूत संगठन अरब लीग की तरफ से परोक्ष तौर पर पूरे विवाद के लिए ईरान को दोषी ठहराने के बाद माना जा रहा है कि आगे कुछ भी हो सकता है।

loksabha election banner

अगर सऊदी अरब और ईरान के बीच बढ़ रहा तनाव युद्ध का रूप लेता है तो यह सिर्फ कूटनीतिक तौर पर भारत के लिए चुनौती नहीं होगी बल्कि इसका आर्थिक खामियाजा भी भारी होगा। इस हालात का असर क्रूड की कीमतों पर पहले से ही दिख रहा है लेकिन भारत की असल चिंता खाड़ी के देशों में काम करने वाले 80 लाख भारतीयों की है। यही वजह है कि भारत पूरे हालात पर नजर रखे हुए है और यह उम्मीद कर रहा है कि दोनो पक्ष आपसी समझ बूझ से इसका समाधान निकालेंगे।

अस्थिर क्रूड से मचता है कोहराम

भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा व दिशा बहुत हद तक कच्चे तेल (क्रूड) से तय होती है क्योंकि हम अपनी जरुरत का 82 फीसद आयात करते हैं। दूसरी तरफ सउदी अरब और ईरान न सिर्फ दुनिया के दो सबसे बड़े तेल उत्पादक देश हैं बल्कि भारत अपनी जरुरत का लगभग एक तिहाई इन दोनों से ही खरीदता है। इसकी कीमत में थोड़ी सी बढ़ोतरी भी सरकार की अर्थनीति का गणित गड़बड़ा देती है। बहरहाल, इन दोनो देशों के विवाद के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत में तेजी का रुख है। बेंट क्रूड दो वर्षो के उच्चतम स्तर 63 डॉलर प्रति बैरल पर है। इसका असर यह हुआ है कि उत्पाद शुल्क में दो रुपये की कटौती के बावजूद पिछले एक महीने में भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 1.50 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो चुकी है।

खाड़ी में रहते हैं 80 लाख भारतीय

भारत की बड़ी चिंता यह है कि खाड़ी में जब भी दो देशों के बीच तनाव फैलता है तो वहां के विभिन्न देशों में काम करने वाले 80 लाख भारतीयों के जीवन पर असर पड़ने का खतरा उत्पन्न हो जाता है। ये भारतीय हर वर्ष सालाना अमूमन 40 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भेजते हैं जो देश की अर्थव्यवस्था में काफी मदद करता है। पूर्व में हम देख चुके हैं कि जब खाड़ी देशों में युद्ध होता है तो इन भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए सरकार को बड़ा अभियान चलाना पड़ता है।

कूटनीतिक बैलेंस की चुनौती

राजग सरकार इन दोनो धुर विरोधी देशों के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों को नया आयाम देने में जुटी है। पीएम नरेंद्र मोदी इन दोनो देशों की सफल यात्रा कर चुके हैं। ऐसे में दोनो देशों के बीच तनाव गंभीर मोड़ लेता है तो भारत के लिए किसी एक देश के पक्ष में खड़ा होना मुश्किल होगा। कूटनीतिक सर्किल में माना जा रहा है कि भारत तटस्थ रह कर दोनो देशों को आपसी समझ बूझ से विवाद सुलझाने की अपील करने की नीति पर कायम रहेगा।

यह भी पढ़ें : ह्यूमन ट्रैफिकिंग की शिकार युवती दुबई से लापता, तलाश के लिए सुषमा से गुहार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.