महाकाल ज्योतिर्लिंग का क्षरण हो रहा या नहीं परखने पहुंची टीम
बुधवार को ही विद्वत परिषद की बैठक में विद्वानों ने भांग से महाकाल के श्रृंगार पर कहा था कि भांग में अनेक अम्लीय एवं क्षारीय पदार्थ मिलाए जाते हैं, जिससे शिवलिंग का क्षरण होता है।
उज्जैन, नईदुनिया। ज्योतिर्लिंग महाकाल का क्षरण हो रहा है या नहीं इसकी पड़ताल करने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पुरातत्ववेत्ता तथा रसायनविदों की टीम गुरुवार को उज्जैन पहुंची। टीम ने ज्योतिर्लिंग की गोलाई और ऊंचाई का माप लिया। ज्योतिर्लिंग पर जमी श्रृंगार सामग्री के नमूने भी जांच के लिए साथ ले गए। इसकी जांच देहरादून की लैब में होगी। टीम के सदस्यों ने ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक के समय निरीक्षण किया। इसके बाद शिवलिंग को सुखाकर भी जांच की। ज्योतिर्लिंग के निचले भाग में दिखाई देने वाले छिद्रों की फोटाग्राफी कराई।
जलाधारी के हिस्से में दिखे छिद्र
समिति को जलाधारी के एक हिस्से में छिद्र नजर आए, उसकी भी बारिकी से जांच की गई। पुरातत्व विभाग नई दिल्ली के क्षेत्रीय निदेशक एमएस चौहान ने बताया कि टीम इस बात की पड़ताल करेगी कि ज्योतिर्लिंग की आज जो स्थिति दिखाई दी है, उसमें परिवर्तन हो रहा है या नहीं। एक बार की जांच में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता, इसलिए टीम जांच के लिए लगातार उज्जैन आएगी। जांच दल में रसायन शास्त्री डॉ. बीके सक्सेना, हेमराज सूर्यवंशी निदेशक जीआईसी, एमएल विश्वकर्मा तथा इंदौर के रसायन शास्त्री रामजी निगम शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को ही विद्वत परिषद की बैठक में विद्वानों ने भांग से महाकाल के श्रृंगार पर कहा था कि भांग में अनेक अम्लीय एवं क्षारीय पदार्थ मिलाए जाते हैं, जिससे शिवलिंग का क्षरण होता है। भगवान महाकाल का रासायनिक रंगों एवं पदार्थों से विविध श्रृंगार करना भी ठीक नहीं है। भगवान का श्रृंगार केवल चंदन, पवित्र वस्तु तथा वस्त्र-आभूषणों से होना चाहिए।
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