जानिए, क्यों भारत में जारी इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस कई देशों में अमान्य
इंटरनेशन ड्राइविंग परमिट या इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस पासपोर्ट की तरह की एक सिलेटी रंग की पुस्तिका होती है, जिसके जरिए आप अपने देश में जारी राष्ट्रीय फोटो पहचान पत्र के माध्यम से विदेशों में भी वाहन चला सकते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में कई राज्यों में जारी इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट अथवा ड्राइविंग लाइसेंस (आइडीपी) दूसरे देशों में खारिज हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र से जुडे़ एक अधिकारी ने एक सम्मेलन में ये बात कही है। यूएन इकोनामिक कमीशन फॉर यूरोप के इकोनामिक अफेयर्स आफीसर राबर्ट नोवाक ने यहां 'पर्यटन को प्रोत्साहन के लिए सुरक्षित सड़क यातायात' विषय पर आयोजित सेमिनार में कहा, 'जिस तरह का इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट भारत के कुछ राज्यों में जारी किया जा रहा है उसे कई देशों में कानूनी मान्यता नहीं मिलने का खतरा है।'
इंटरनेशन ड्राइविंग परमिट या इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस (आइडीपी) पासपोर्ट की तरह की एक सिलेटी रंग की पुस्तिका होती है, जिसके जरिए आप अपने देश में जारी राष्ट्रीय फोटो पहचान पत्र के माध्यम से विदेशों में भी वाहन चला सकते हैं।
आइडीपी में कई भाषाओं में विवरण दर्ज होते हैं। इसके साथ इस पर धारक का फोटो और आइडीपी जारी करने वाले अधिकारी की मुहर होती है। यह अपनी मर्जी से मोटर वाहन चलाने का लाइसेंस नहीं होता है। नोवाक के अनुसार भारत में जारी आइडीपी में संयुक्त राष्ट्र के प्रारूप को नहीं अपनाया जाता, जिसके तहत आइडीपी के अंतिम दो पेज फ्रेंच भाषा के अलावा संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त छह भाषाओं में होने चाहिए। आइडीपी का रंग भी सही नहीं है और इसमें कई देशों का नाम भी सही तरीके से दर्ज नहीं किया गया है। उदाहरण के लिए सोवियत यूनियन को सीआइएस कंट्री लिखा गया है, जबकि सीआइएस में सभी सोवियत देश शामिल नहीं हैं। आइडीपी केवल 97 देशों में मान्य है, जबकि भारतीय आइडीपी में सौ देश दिखाए गए हैं।
नोवाक के अनुसार भारत ने अभी तक उस यूएन समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिसके तहत किसी सदस्य देश द्वारा जारी ड्राइविंग लाइसेंस सभी देशों में मान्य होता है। भारत ने 1948 के 'यूएन कन्वेशन फार रोड ट्रैफिक' पर सहमति दी थी। परंतु उसके लिए 1968 में हुए समझौते पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं।