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International Day of Forest: धरती से जंगल हुए कम तो मानवजाति के लिए भी बढ़ जाएगा खतरा

International Day of Forest के मौके पर हुई वर्चुअल बैठक में संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंटोनिया गुटारेस ने कम होते वन क्षेत्र पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस पर तत्‍काल कार्रवाई की जरूरत है नहीं तो देर हो जाएगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 21 Mar 2021 11:33 AM (IST)Updated: Sun, 21 Mar 2021 06:46 PM (IST)
International Day of Forest: धरती से जंगल हुए कम तो मानवजाति के लिए भी बढ़ जाएगा खतरा
धरती पर फैले जंगलों और वन क्षेत्र को बचाना होगा

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। हर वर्ष 21 मार्च का दिन विश्‍व में अंतरराष्‍ट्रीय वन दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद विश्‍व के सभी देशों को अपने यहां पर मौजूद जंगलों के रखरखाव और उनका दायरा बढ़ाने के लिए जागरुक करना है। 28 नवंबर 2012 को संयुक्‍त राष्‍ट्र आम सभा में इसको लेकर एक प्रस्‍ताव पारित हुआ था। इसके बाद से ही इसका शुभारंभ भी हुआ। इंटरनेशनल डे ऑफ फोरेस्‍ट के मौके पर इस मौके पर संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने कहा है कि पूरी पृथ्‍वी के सामने वन क्षेत्र को बचाना सबसे बड़ी प्राथमिकता भी है और इस पर तत्‍काल कार्रवाई करनी भी जरूरी है। यदि आज हमनें इस संबंध में कुछ नहीं किया तो फिर काफी देर हो जाएगी। इसके लिए सभी देशों और सभी अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों को तेजी से प्रयास करने होंगे।

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यूएन डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक एंड सोशल अफेयर्स के प्रमुख लियु जेनमिन ने इस दौरान हुई वर्चुअल बैठक के दौरान कहा कि कोरोना काल के समय में ग्रीन एरिया जिसमें पार्क और जंगल शामिल हैं ने महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की है। ये मानवजाति के लिए किसी बफर स्‍टॉक की तरह हैं। इनके कम होने से भविष्‍य में बीमारियों और महामारियों का खतरा बढ़ जाएगा। उनका कहना था कि वन क्षेत्र की हम सभी के महत्‍वपूर्ण भूमिका है लेकिन इस पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उन्‍होंने इस मौके पर पूरी दुनिया को चेताया भी है। उनका कहना है कि हर वर्ष 70 लाख हेक्‍टेयर प्राकृति वन क्षेत्र दूसरे क्षेत्र में बदल रहा है। इसमें बड़े पैमाने पर कमर्शियल खेती समेत दूसरी चीजें की जा रही हैं। इसलिए पूरी दुनिया के लिए ये बेहद गंभीर मसला है।

अंतरराष्‍ट्रीय वन दिवस के मौके पर संयुक्‍त राष्‍ट्र की हाल ही में सामने आई रिपोर्ट बताती है कि पूरी दुनिया में जंगल तेजी से घट रहे हैं। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि यदि जंगल तेजी से घटेंगे तो वैश्विक महामारी भी बढ़ेंगी। वन क्षेत्र के कम होने से पशुओं के माध्‍यम से इंसानों में फैलने वाली जेनेटिक डिजीज में तेजी आएगी।

इस मौके पर संयुक्‍त राष्‍ट्र ने पूरी दुनिया को आगाह भी किया है कि उन्‍हें इस मुद्दे पर अपनी सोच में परिवर्तन लाना ही होगा। पूरी दुनिया को जंगलों और वन क्षेत्र के प्रति अपनी सोच में बदलाव करना होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो मानवजाति को भविष्‍य में और दूसरी महामारियों से भी दो चार होना होगा। इसका नुकसान पूरी मानवजाति को उठाना है।

यूएन विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तेजी के साथ वन क्षेत्र कम हो रहे हैं उसी तेजी के साथ जानवर इंसानों के अधिक निकट आ रहे हैं। इसकी वजह से इनसे होने वाली बीमारियों का प्रसार भी बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक बीते कुछ वर्षों में ऐसी बामारियां जो जानवरों से इंसानों तक पहुंची हैं, में तेजी आई है। इस रिपोर्ट में पर्यावरण विशेषज्ञों की राय को भी शामिल किया गया है। इनकी राय भी अन्‍य विशेषज्ञों से मेल खाती है।

ये रिपोर्ट केवल वन क्षेत्र में आई कमी तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसमें ये भी बताया गया है कि कुछ क्षेत्रों में इनमें बढ़ोतरी भी हुई है। यूरोपीयन जियोसाइंसेज यूनियन में रखी गई एक रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि वनस्‍पति और हरित क्षेत्र अब 500 मीटर की ऊंचाई से बढ़कर 700 मीटर की ऊंचाई पर चला गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से निचले इलाकों में बबूल समेत अन्‍य पेड़ों की अधिकता देखी जा सकती है।

इसका एक अर्थ ये भी है कि आने वाले समय में इस तरह के वन क्षेत्र में इजाफा होगा। इस रिसर्च में ये भ बात सामने आई है कि पेड़ पौधों के माहौल में धीरे-धीरे बदलाव देखा जा रहा है। कई क्षेत्रों में नई किस्‍म के पेड़ और पौधे दिखाई देने लगे हैं। वैज्ञानिकों को इस बात का भी डर है कि यदि इसी तरह से चलता रहा तो जहां आज घने जंगल हैं वहां भविष्‍य में घास के मैदान दिखाई देंगे।


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