कुलभूषण जाधव मामले में आज अंतरराष्ट्रीय कोर्ट सुनाएगा फैसला, जानें कब-क्या हुआ
कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट बुधवार को फैसला सुनाएगा। यह भारत और पाकिस्तान के लिए बेहद खास है। जानें इस मामले में कब क्या हुआ।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले में बुधवार को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) अपना अहम फैसला सुनाएगा। भारतीय समयानुसार यह फैसला करीब शाम साढ़े छह बजे सुनाया जाएगा। इस फैसले पर भारत और पाकिस्तान की निगाहें लगी हैं। इस वर्ष 18-21 फरवरी तक इस मामले पर कोर्ट में खुली सुनवाई हुई थी। कोर्ट का फैसला किसके पक्ष में होगा फिलहाल इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। लेकिन, यदि यह फैसला भारत के पक्ष में आया तो निश्चित तौर पर यह एक बड़ी जीत होगी। हालांकि जानकार ये भी मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का फैसला मानने के लिए कोई भी देश बाधित नहीं है। वहीं दूसरी तरफ इसी वर्ष जनवरी में पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा था कि यदि फैसला भारत के पक्ष में आता है तो वह उसको मानने के लिए बाधित हैं। बहरहाल, यह भी जानना जरूरी है कि आखिर इस पूरे मामले में कब-क्या हुआ।
पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में जाधव को आतंकवाद और जासूसी के आरोपों में मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद भारत ने उन्हें बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का रुख किया था। कोर्ट में भारत की तरफ से कुलभूषण जाधव की पैरवी मशहूर वकील हरीश साल्वे ने की है। वहीं दूसरी तरफ इस मामले में पाकिस्तान की तरफ से खवर कुरैशी ने अपना पक्ष रखा है। जहां तक इस मामले में फैसले की बात है तो पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मुहम्मद फैसल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कह चुके हैं कि इस फैसले का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। हालांकि पाकिस्तान ने अब तक ये भी नहीं कहा है कि यदि कोर्ट का फैसला भारत के हक में होता है तो वह उसको मानेगा। वह इस मामले में पहले कह चुका है कि आईसीजे का इसमें कोई मतलब नहीं है क्योंकि यह मामला पाकिस्तान की सुरक्षा और उसकी जासूसी से जुड़ा है।
जाधव को पाकिस्तान कोर्ट से मौत की सजा सुनाए जाने के बाद भारत ने मई 2017 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) का रुख किया था। सितंबर 2017 में भारत ने इस मामले में आईसीजे में लिखित अपील की थी। भारत ने कोर्ट में पाकिस्तान द्वारा कुलभूषण पर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि कोर्ट के समक्ष पाकिस्तान की तरफ से एक भी पुख्ता सुबूत पेश नहीं किया गया। इतना ही नहीं भारत का कहना था कि पाकिस्तान ने एक बार भी जाधव मामले में काउंसलर एक्सेस नहीं दिया। वहीं पाकिस्तान का इस बाबत कहना था कि क्योंकि यह मामला देश की जासूसी और सुरक्षा से जुड़ा था इसलिए इसमें इस तरह की सुविधा देने का कोई मतलब नहीं होता है। भारत इस मामले में बार-बार कहता रहा है कि जाधव को पाकिस्तान ने ईरान से गैर कानूनी रूप से गिरफ्तार किया था, जबकि पाकिस्तान इसका खंडन करता रहा है।
भारत की कोर्ट में दलील थी कि इस मामले में पाकिस्तान ने वियना संधि के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। कोर्ट में भारत ने जाधव को राजनयिक मदद मुहैया न कराने के मुद्दे को जोर-शोर से उछाला है। नवंबर 2017 में पाकिस्तान ने जाधव से उसकी पत्नी और मां को मिलाने की पेशकश की थी। जिसके बाद दिसंबर में भारत ने इस पर अपनी मुहर लगाई थी। दिसंबर 2017 के अंतिम सप्ताह में यह मुलाकात हुई थी, लेकिन, पाकिस्तान ने इस मुलाकात से पहले ही भारतीय दूतावास के अधिकारी को रोक दिया। मुलाकात के बाद जाधव की मां और पत्नी ने कहा था कि उनके चेहरे पर कुछ चोट के निशान थे और वह किसी रोबोट की तरह बोल रहे थे। आपको बता दें कि मुलाकात के दौरान दोनों के बीच में शीशे की दीवार लगी थी। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
दिसंबर 2017 में पाकिस्तान ने आईसीजे में कहा कि कुलभूषण जाधव के पास हुसैन मुबारक पटेल के नाम से एक फर्जी पासपोर्ट मिला था। अपने हलफनामे में पाकिस्तान ने कहा कि वह खुफिया जानकारी जुटाने के मकसद से पाकिस्तान में घुसा था।
दिसंबर 2017 में आईसीजे में हुई बहस के दौरान भारत ने 2004 के अवीना और दूसरे मेक्सिकन नागरिकों के संदर्भ में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस(आइसीजे) के फैसले का हवाला दिया था। इस मामले में अमेरिका पर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन करना का आरोप साबित हुआ था। इस मामले में मौत की सजा पाए अपने नागरिकों तक मेक्सिको को राजनयिक पहुंच नहीं दी थी। पाकिस्तान ने पिछले हफ्ते भारत समेत 68 दूसरे देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया है, जिसमें कहा गया है कि आइसीजे के अवीना जजमेंट को पूर्ण रूप से और तत्काल लागू किया जाए। भारत ने इस मामले को जाधव के पक्ष में उठाते हुए कहा था कि पाकिस्तान ने जब अमेरिका के मामले में आरोपियों के हक में वोट किया था तो ऐसा अब लागू क्यों नहीं होता है।
दिसंबर 2017 में ही बलूच नेता हायर बायर मारी ने पाकिस्तान की पोल खोलते हुए कहा कि उन्हें बलूचिस्तान से नहीं बल्कि ईरान से उनका अपहरण किया गया और बाद में पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया गया
जनवरी 2018 में वाइस ऑफ मिसिंग बलोच नाम की संस्था के उपाध्यक्ष मामा कादिर ने एक भारतीय न्यूज चैनल को बताया कि जाधव को इरान के चाबहार बंदरगाह से पकड़ा गया था। पाक खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए काम करने वाले मुल्ला उमर बलूच ईरानी ने पकड़ा था। वह आइएसआइ के लिए काम करता है। कादिर का कहना है कि उसके एक कार्यकर्ता घटना का गवाह है। उसने देखा था कि जाधव के दोनों हाथ बंधे हुए थे।
जुलाई 2018 पाकिस्तान ने भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को दोषी ठहराए जाने पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) में अपना दूसरा लिखित जवाब दायर किया। पाकिस्तान ने अपने जवाब में भारत की दलील का विस्तृत जवाब सौंपा है। 400 पृष्ठों के जवाब में उसने भारतीय आपत्ति का भी उत्तर दिया है।
फरवरी 2019 में पाकिस्तान के एक अधिकारी ने यहां तक कहा कि इस मामले में उनका देश आईसीजे का फैसला मानने को बाध्य है।