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शिवपाल-अखिलेश की खींचतान में कौन पड़ेगा भारी, मुलायम पर टिकी नजर

सपा सुप्रीमो अपने मुख्यमंत्री पुत्र और परिवार में संतुलन साधने की पूरी मशक्कत कर रहे हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 15 Sep 2016 04:16 AM (IST)Updated: Thu, 15 Sep 2016 10:22 AM (IST)
शिवपाल-अखिलेश की खींचतान में कौन पड़ेगा भारी, मुलायम पर टिकी नजर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश का चुनावी बिगुल बजने से पहले मुलायम सिंह परिवार और सरकार में खिंची तलवारें अभी म्यान में नहीं आयी हैं। सपा सुप्रीमो अपने मुख्यमंत्री पुत्र और परिवार में संतुलन साधने की पूरी मशक्कत कर रहे हैं। शुक्रवार को मुलायम सिंह लखनऊ पहुंचकर पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक में परिवार के भीतर लगी इस सियासी आग को बुझाएंगे। मुलायम संतुलन साधने की अपनी कोशिश में शायद कामयाब भी हो जाएं। मगर यह भी साफ दिख रहा है कि इस झगड़े की जड़ें काफी गहरी हो गई हैं।

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दिल्ली में मुलायम सिंह से मिले शिवपाल

अखिलेश और शिवपाल के बीच सियासी वर्चस्व की लड़ाई को रोकने के लिए मुलायम सिंह ने बुधवार को दिल्ली आवास पर अपने छोटे भाई शिवपाल के साथ चार घंटे की मैराथन चर्चा की। मगर फिलहाल सुलह का कोई फार्मूला नहीं निकला है। न ही शिवपाल ने सरकार से इस्तीफा देने जैसा कदम उठाया।मुलायम सिंह और शिवपाल के बीच हुई लंबी बैठक के बाद दोनों की ओर से साधी गई चुप्पी से यह भी साफ है कि सपा सुप्रीमो लखनऊ में निर्णायक फैसला लेने से पहले अपने परिवार के दोनों खेमों को शांत करना चाहते हैं। शिवपाल से तो उनकी बात बुधवार को हुई। बताया जा रहा है कि आज रामगोपाल यादव लखनऊ पहुंचकर अखिलेश से इस बारे में बातचीत करेंगे।

संगठन पर वर्चस्व

सपा सूत्रों के अनुसार शिवपाल चुनाव को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहने के पक्ष में हैं। इसके लिए वे सरकार से त्यागपत्र देने को भी तैयार हैं। हालांकि मुलायम ने उन्हें अभी ऐसे किसी कदम से रोक दिया है। नेताजी के इरादों से शिवपाल शायद पहले से भी वाकिफ थे। इसलिए उनसे मिलने से पहले ही एयरपोर्ट पर मीडिया से संक्षिप्त बयान में कहा कि नेताजी का जो निर्देश होगा उसे टालने की किसी की हैसियत नहीं। सूत्रों के मुताबिक वहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी सपा सुप्रीमो से कहा है कि अब मंत्री पद से हटाए गए राजकिशोर और गायत्री प्रजापति की सरकार में वापसी नहीं हो पाएगी। इन दोनों को शिवपाल और मुलायम का करीबी माना जाता है।

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अखिलेश ने यह भी संदेश दे दिया है कि शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला पलटा नहीं जाता तो वे उनसे लिए गए अहम विभाग उन्हें नहीं लौटाएंगे। साथ ही चुनाव में टिकट बंटवारे में प्रदेश अध्यक्ष के नाते शिवपाल के हाथ में व्यापक अधिकार रहे यह भी उन्हें कबूल नहीं होगा क्योंकि पार्टी उनके चेहरे के साथ चुनाव मैदान में जा रही है। जाहिर तौर पर मुलायम सिंह के लिए अखिलेश की यह जिद सियासी रुप से चुनौती बन गई है।

खासतौर पर यह देखते हुए कि उत्तरप्रदेश में संगठन के स्तर पर शिवपाल की पकड़ ज्यादा मजबूत है। प्रदेश में सपा की सत्ता में दुबारा वापसी के लिए दूसरे छोटे दलों से सामाजिक-राजनीतिक समीकरण साधने में भी शिवपाल की क्षमता पार्टी में सबसे कारगर मानी जाती है। वहीं अखिलेश अपने चेहरे और सियासत के नए अंदाज के जरिए मुलायम के बाद सपा के सबसे प्रमुख चेहरे के रुप में खुद को स्थापित करने का यही मौका देख रहे हैं।

नहीं होगी दीपक की बहाली

सूत्रों के अनुसार इसी रणनीति के तहत शिवपाल और मुलायम सिंह की बैठक से पहले अखिलेश ने यह भी दो टूक संदेश भेज दिया था कि हटाए गए मुख्य सचिव दीपक सिंघल की पद पर वापसी अब नहीं होगी। अपनी बहाली की कोशिशों के तहत सिंघल ने वैसे आज भी मुलायम से यहां उनके आवास पर मुलाकात की। मगर उन्हें भी कोई ठोस आश्र्वासन अभी नहीं मिला।

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अखिलेश ने यह भी कह दिया है कि सरकार, पार्टी और नौकरशाही में अमर सिंह का हस्तक्षेप उन्हें कबूल नहीं है। बताया जाता है कि सपा सुप्रीमो को भी इस बात का अहसास हो गया है कि अखिलेश अब इतनी आसानी से सारी बातें कबूल करने को तैयार नहीं हैं। इसीलिए अब मुलायम लखनऊ जाकर अखिलेश और पार्टी के शीर्ष नेताओं से मशविरा कर दोनों के बीच संतुलन साधने वाला फार्मूला निकालना चाहते हैं।

हाईलाइट्स

-मुख्यमंत्री अखिलेश प्रदेश अध्यक्ष पद पर अपनी वापसी चाहते हैं तभी शिवपाल को उनके अहम विभाग लौटाने को तैयार

-गायत्री प्रजापति और राजकिशोर को सरकार में वापस लेने के प्रस्ताव पर भी अखिलेश नहीं राजी

-हटाए गए मुख्य सचिव दीपक सिंघल को भी वापस पद देने से सीएम ने साफ इन्कार कर दिया है

-मुख्यमंत्री ने यह भी कर दिया है स्पष्ट अमर सिंह की दखलंदाजी भी किसी रुप में स्वीकार नहीं

- प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए शिवपाल मंत्री पद छोड़ने को तैयार

-इस्तीफा देने की धमकी देने के बावजूद मुलायम से मुलाकात के बाद शिवपाल ने इस पर साधी चुप्पी

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