आइएनएस विराट 40 फीसद टूटा, नहीं बन सकता संग्रहालय : सुप्रीम कोर्ट
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे जस्टिस एएस बोपन्ना और वी.रामासुब्रह्मण्यन की खंडपीठ ने सोमवार को युद्धपोत आइएनएस विराट को और तोड़ने पर लगाई रोक को हटा दिया है। कोर्ट ने निजी कंपनी एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के वकील से कहा कि आपने बहुत देर कर दी है।
नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त हो चुके नौसैनिक बेड़े आइएनएस विराट को संरक्षित करके संग्रहालय बनाए जाने की अनुमति मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। सर्वोच्च अदालत का कहना है कि आइएनएस विराट को पहले ही 40 फीसद तोड़ा जा चुका है, ऐसे में उसे संग्रहालय में तब्दील नहीं किया जा सकता है। इसलिए इस युद्धपोत को तोड़े जाने की प्रक्रिया को बहाल किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी.रामासुब्रह्मण्यन की खंडपीठ ने सोमवार को युद्धपोत आइएनएस विराट को और तोड़ने पर लगाई रोक को हटा दिया है। कोर्ट ने निजी कंपनी एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के वकील से कहा कि आपने बहुत देर कर दी है। 40 फीसद से ज्यादा जहाज पहले ही तोड़ा जा चुका है। आप उसे संग्रहालय कैसे बना पाएंगे। कोर्ट ने कहा कि किसी ने इस जहाज को खरीदने के लिए मोटी रकम दी है। सरकार ने इसे बेचने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन किया है। उन्होंने चालीस फीसद जहाज को नष्ट कर दिया है। ऐसे में आपने बहुत देर कर दी है। अब हम इसमें दखल नहीं दे सकते हैं। उन्होंने याचिकाकर्ता निजी कंपनी की राष्ट्रवाद की भावना की सराहना करते हुए कहा कि आपने देर कर दी है।
उल्लेखनीय है कि एक निजी कंपनी श्री राम ग्रुप ने गुजरात के भावनगर के अलंग में पिछले साल विराट को एक नीलामी में 38.54 करोड़ रुपये में खरीदा था। कंपनी ने इसे तोड़ने की प्रक्रिया पिछले साल दिसंबर में शुरू की थी।
श्री राम ग्रुप का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील राजीव धवन ने कहा कि बांबे हाई कोर्ट ने कंपनी से रक्षा मंत्रालय के समक्ष अपना प्रेजेंटेशन देने और अनुमति लेने को कहा था। धवन ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने उनकी अपील को खारिज कर दिया था। ध्यान रहे कि याचिकाकर्ता निजी कंपनी ने श्री राम ग्रुप से इस युद्धपोत को खरीदने के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया है।
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