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विक्रांत के पास भी नहीं फटक पाएंगे दुश्मन

नई दिल्ली। भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत समंदर में उतरने के बाद दुश्मनों के लिए काल साबित होगा। इसके अति अत्याधुनिक राडार, क्लोज इन वेपन सिस्टम और तेज मिसाइलें दुश्मन को इसके पास तक नहीं फटकने देंगी। विक्रांत के डेक पर एक साथ 30 लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर हर समय तैनात रहेंगे। इनमें करीब

By Edited By: Published: Mon, 12 Aug 2013 02:56 PM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2013 03:47 PM (IST)
विक्रांत के पास भी नहीं फटक पाएंगे दुश्मन

नई दिल्ली। भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत समंदर में उतरने के बाद दुश्मनों के लिए काल साबित होगा। इसके अति अत्याधुनिक राडार, क्लोज इन वेपन सिस्टम और तेज मिसाइलें दुश्मन को इसके पास तक नहीं फटकने देंगी।

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विक्रांत के डेक पर एक साथ 30 लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर हर समय तैनात रहेंगे। इनमें करीब 12 मिग-29के, देश में बने 8 तेजस विमान और 10 एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर होंगे। ये हेलीकॉप्टर ऐसे अर्लीवॉर्निंग सिस्टम से लैस होंगे, जिससे दुश्मन की कोई भी पनडुब्बी इसके पास तक पहुंचने से पहले ही सूचित कर देंगे। विक्रांत पर 2 रनवे भी है, जिससे हवाई हमला होने की स्थिति में लड़ाकू विमान तुरंत उड़ान भर सकते हैं। इसके रनवे को इस तरह बनाया गया है कि हर तीन मिनट में लड़ाकू विमान उड़ान भर ले। इसलिए 45 मिनट के अंदर आसानी से 30 लड़ाकू विमान इससे उड़ान भर लेंगे। यही नहीं, इस पर जमीन से हवा में मार करने वाली कई तरह की अत्याधुनिक मिसाइलें भी तैनात रहेगी। यानी जल-थल और आकाश तीनों तरह की सुरक्षा करने में विक्रांत खुद सक्षम रहेगा।

आईएनएस विक्रांत का इतिहास भी बहुत सुनहरा है। भारत ने 60 के दशक में ब्रिटेन से आइएनएस विक्रांत को लिया था। इससे भारत ने 1971 की जंग में चटगांव और कोक्सबाजार पर हुए जबदस्त हमले किए थे। पाकिस्तान ने आइएनएस विक्रांत को तबाह करने के लिए खास तौर अपनी गाजी पनडुब्बी भेजी थी, जिसे भारतीय नौसेना ने विशाखापत्तनम के पास डुबो दिया था। इसमें कोई शक नहीं कि रिटायर हो चुके आइएनएस विक्रांत की तुलना में स्वदेशी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत कई गुना ज्यादा ताकतवर होगा और दुश्मनों के छक्के छुड़ा देगा।

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