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इंदौर के उद्यमियों का नवाचार, तैयार किए मच्छर और मक्खियों से बचाने वाले कपड़े

क्लोदिंग इनोवेशन की नींव भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM) बेंगलुर के स्टार्टअप हब एनएसआरसीईएल में पड़ी थी। यहां कंपनी के सह-संस्थापकों ने करीब डेढ़ साल शोध करके लास्टिंग फॉर्मूलेशन डेवलप किया जिसे अब उन्होंने आर्मर इंसेक्ट रिपेलेंट फॉर्मूलेशन नाम दिया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 05:58 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 05:58 PM (IST)
इंदौर के उद्यमियों का नवाचार, तैयार किए मच्छर और मक्खियों से बचाने वाले कपड़े
मालपानी ने दावा किया कि इस विधि में WHO के मापदंडों के मानकों का पालन किया जाता है

इंदौर, जेएनएन। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के दो युवा उद्यमियों ने कपड़ा तकनीक के क्षेत्र में ऐसा फॉर्मूला खोज लिया है, जो मच्छर, मक्खियों और चींटियों की समस्या से निजात दिलाता है। उनका दावा है कि इस फॉर्मूले से बनाए गए कपड़े 50 धुलाई तक काम करते हैं यानी इन कीटों को दूर रखने में कारगर रहते हैं। युवा उद्यमी श्रेष्ठा और मयूर मालपानी ने साल 2017 में 'क्लोदिंग इनोवेशन' नाम से कंपनी शुरू की थी। इनकी फैक्ट्री में कपड़ों के विशेष ट्रीटमेंट के लिए जो 'आर्मर टेक्नोलॉजी' उपयोग की जाती है, उसका पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया हुआ है।

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मालपानी ने उम्मीद जताई कि उनकी इस खोज की बदौलत पारंपरिक रिपेलेंट्स यानी मच्छर दूर रखने वाले क्रीम या स्प्रे की जरूरत नहीं रह जाएगी। दरअसल, यह एक ऐसा स्टार्टअप है जो सिल्क और वेलवेट के अतिरिक्त अन्य तमाम तरह के कपड़ों के विशेष ट्रीटमेंट उपलब्ध कराता है। इसके अलावा यह स्टार्टअप बच्चों और वयस्कों के लिए इंसेक्ट रिपेलेंट (कीट दूर भगाने वाले), एंटी माइक्रोबियल और एंटी बैक्टीरियल कपड़े भी बेचता है।

यह है आर्मर टेक्नोलॉजी

'क्लोदिंग इनोवेशन' की नींव भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM) बेंगलुर के स्टार्टअप हब एनएसआरसीईएल में पड़ी थी। यहां कंपनी के सह-संस्थापकों ने करीब डेढ़ साल शोध करके लास्टिंग फॉर्मूलेशन डेवलप किया, जिसे अब उन्होंने आर्मर इंसेक्ट रिपेलेंट फॉर्मूलेशन नाम दिया है। मालपानी के मुताबिक उनका स्टार्टअप सिंथेटिक रूप में जो इंसेक्ट रिपेलेंट इस्तेमाल करता है वह प्राकृतिक रूप से कुछ फूलों में मिलता है। इसके जरिये सामान्य कपड़ों को ट्रीट करने और उन्हें इनसेक्ट-रिपेलेंट वेरिएंट में तब्दील करने के लिए कंपनी ने नैनो टेक्नोलॉजी आधारित एन्कैप्सुलेटिंग प्रक्रिया तैयार की है।

मालपानी दावा करते हैं कि इस विधि में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मापदंडों के हिसाब से सुरक्षा मानकों का पालन किया जाता है। 50 लाख का शुरुआती निवेश मयूर और श्रेष्ठा की पढ़ाई उनके पेशे के अनुरूप ही हुई है। मयूर ने पहले इंदौर के श्री वैष्णव इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग से टेक्सटाइल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और फिर वर्जिनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी से प्रोडक्ट इंजीनियरिंग और ग्लोबल मार्केटिंग में मास्टर्स डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु की एक फर्म में मार्केट रिसर्च का काम किया। 'क्लोदिंग इनोवेशन' लांच करने से पहले वे इंदौर वापस आ गए थे और यहां एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में नौकरी की।

श्रेष्ठा ने पुणे स्थित एक प्रतिष्ठित संस्थान एससीएमएलडी से एमबीए की डिग्री ली है। उनके पास बैंकिंग सेक्टर और अपैरल मैन्युफैक्चरिंग का अच्छा अनुभव है। दोनों ने इंदौर में अपनी निर्माण और उत्पादन इकाई शुरू करने के लिए 25-25 लाख रपये का निवेश किया। इस तरह साबित हो रही सफलता मालपानी ने बताया कि फिलहाल कंपनी का सालाना टर्नओवर तीन करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। सालाना दस प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी भी हो रही है। सितंबर 2019 से कंपनी ने अमेरिका को निर्यात भी शुरू कर दिया है। यह उनकी सफलता को साबित कर रहा है। मालपानी के मुताबिक, उनका स्टार्टअप अब 'एंटीवायरल टेक्नोलॉजी' पर काम कर रहा है और कारोबार विस्तार के लिए फंड जुटाने की कोशिश में है।


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