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अपाचे सरीखे बनेंगे स्वदेशी युद्धक हेलीकॉप्टर, वर्ष 2032 तक एमआइ-17 की जगह लेंगे नए चॉपर

2027 तक एचएएल बनाएगा पहला चॉपरडिजाइन तैयार-सरकारी मंजूरी इस साल। नौसेना के अलग किस्म के और थलसेना और वायुसेना के लिए एक जैसे बनेंगे। वर्ष 2032 तक एमआइ-17 की जगह लेंगे नए चॉपर।

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 08:55 AM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 08:55 AM (IST)
अपाचे सरीखे बनेंगे स्वदेशी युद्धक हेलीकॉप्टर, वर्ष 2032 तक एमआइ-17 की जगह लेंगे नए चॉपर
अपाचे सरीखे बनेंगे स्वदेशी युद्धक हेलीकॉप्टर, वर्ष 2032 तक एमआइ-17 की जगह लेंगे नए चॉपर

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत अब अमेरिकी कंपनी बोइंग के अपाचे हेलीकॉप्टर की टक्कर के स्वदेशी युद्धक हेलीकॉप्टर बनाएगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का बीड़ा हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंपा गया है, जिसे वर्ष 2027 कर 10 से 12 टन के युद्धक हेलीकॉप्टर बनाने हैं। यह स्वदेशी हेलीकॉप्टर 'मेक इन इंडिया' परियोजना के तहत तीनों भारतीय सेनाओं के लिए बनाए जाएंगे जो हर तरह से वैश्विक स्तर के मध्यम भार के युद्धक चॉपर होंगे।

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एचएएल के प्रबंध निदेशक और चेयरमैन आर.माधवन ने रविवार को एक इंटरव्यू में बताया कि सरकार ने इस साल परियोजना को मंजूरी दे दी तो इसके कम से कम पांच सौ यूनिट तैयार किए जाएंगे। हालांकि इसका पहला प्रोटोटाइप वर्ष 2023 तक यानि अगले तीन साल में ही तैयार हो पाएगा जबकि पहले चॉपर का उत्पादन वर्ष 2027 तक होगा। एचएएल इस हेलीकॉप्टर केप्रोटोटाइप के लिए प्रारंभिक डिजाइन तैयार कर चुका है। इस हेलीकॉप्टर के डिजाइन और उसके प्रोटोटाइप के उत्पादन के लिए 9,600 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।

माधवन ने बताया कि यह प्रोजेक्ट इसलिए भी बेहद अहम है कि अपाचे की तर्ज पर बननेवाले यह स्वदेशी युद्धक हेलीकॉप्टर एमआइ-17 फ्लीट की जगह लेंगे। दस से बारह टन के भार वाले इन स्वदेशी हेलीकॉप्टरों के कारण विभिन्न देशों से आयात किए जाने वाले हेलीकॉप्टरों पर खर्च होने वाले चार लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। एमआइ-17 हेलीकॉप्टर फिलहाल भारतीय वायुसेना की हेलीकॉप्टर फ्लीट की रीढ़ हैं। लेकिन वर्ष 2032 तक इन्हें रिटायर करने की तैयारी है।

10 व 12 टन की दो श्रेणियां बनेंगीं 

एक सैन्य विशेषज्ञ का कहना है कि तेजस विमानों के बाद एचएएल का यह अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। माधवन ने कहा कि प्रस्तावित मेगाप्रोजेक्ट के तहत इन स्वदेशी हेलीकॉप्टरों की दो श्रेणियां तैयार की जाएंगी जिसमें एक दस टन और दूसरा 12 टन श्रेणी का होगा। हेलीकॉप्टर के प्रारंभिक डिजाइन को पूरा कर लिया गया है और इस संबंध में वायुसेना और नौसेना से बातचीत चल रही है। नौसेना का हेलीकॉप्टर थलसेना और वायुसेना से अलग होगा।

उन्नत हथियारों से लैस होंगे चॉपर 

माधवन ने बताया कि अपाचे सरीखे हेलीकॉप्टर दो इंजन वाले होंगे। नौसेना के जहाज के डेक के अभियानों के लिए इनके पंखों केब्लेड को फ्लोडेबल बनाया जाएगा। इन युद्धक हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल हवाई हमले, हवाई परिवहन, युद्धक सामग्री से लैस करना और युद्धक अभियानों और बचाव कार्यो में किया जाएगा। यह हेलीकॉप्टर बेहद उन्नत किस्म के हथियारों से लैस होंगे। इन चॉपरों में निर्यात किए जाने की भी खासी क्षमता होगी।

अमेरिका से खरीदे जा रहे 28 अपाचे 

पिछले ही हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान हुए रक्षा सौदे से भारतीय वायुसेना को कुल 22 अपाचे गार्जियन युद्धक हेलीकॉप्टर हासिल होने वाले हैं। यह भारत ने अमेरिकी कंपनी बोइंग से कई अरब डॉलर के सौदे में हासिल किए हैं। जबकि भारतीय थल सेना को भी हथियार प्रणाली से सुसज्जित छह अपाचे हेलीकॉप्टर मिलेंगे। लेकिन फौरी जरूरतों को पूरा करने के साथ ही भारत आने वाले सालों में सैन्य हथियारों और उपकरणों के मामले में आत्मनिर्भर होना चाहता है।


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