पहली बार भू-स्थिर कक्षा में स्थापित होगा स्वदेशी उपग्रह, ईओएस-03 आज होगा लांच, उलटी गिनती शुरू
जीआइएसएटी-1 के बाद सितंबर में 1800 टन वजनी ईओएस-4 या आरआइएसएटी-1ए को लांच किया जाएगा। यह रडार इमेजिंग सेटेलाइट दिन और रात दोनों में तस्वीरें लेने में सक्षम होगा और बादल इसमें बाधा नहीं बनेंगे। देश की सुरक्षा में इसकी अहम भूमिका होगी।
चेन्नई, एजेंसी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार सुबह देश के पहले जियो इमेजिंग सेटेलाइट-1 (जीआइएसएटी-1) को अपने जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल (जीएसएलएवी) एफ-10 से लांच करने की उलटी गिनती शुरू कर दी। इसे अर्थ आब्जर्बेशन सेटेलाइट (ईओएस)-03 नाम दिया गया है।
चिह्नित इलाकों पर लगातार रखेगा नजर
यह देश का पहला ऐसा सेटेलाइट होगा जिसे भू-स्थिर (जियोस्टेशनरी) कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यानी यह पृथ्वी की अपनी धुरी पर घूमने की गति से अपनी कक्षा में चक्कर लगाएगा जिसकी वजह से वह पृथ्वी के ऊपर स्थिर प्रतीत होगा और चिह्नित इलाकों पर लगातार नजर रख सकेगा।
सतीश धवन स्पेस सेंटर से 12 अगस्त को होगा लांच
ईओएस-03 को 51.70 मीटर लंबे और 416 टन वजनी जीएसएलवी-एफ10 के जरिये आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लांच पैड से गुरुवार सुबह लांच करने की योजना है। ईओएस-03 का वजन 2,268 किलोग्राम है और यह करीब 18 मिनट में जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट (जीटीओ) में स्थापित हो जाएगा। जीटीओ से इसे अपनी प्रोपल्शन प्रणाली के जरिये भू-स्थिर कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
मार्च 2020 में होना था लांच
जीआइएसएटी-1 को दरअसल पांच मार्च, 2020 को लांच किया जाना था, लेकिन लांच के कुछ घंटों पहले इसरो ने कुछ तकनीकी वजह बताते हुए मिशन को स्थगित करने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद कोरोना महामारी और देशव्यापी लाकडाउन की वजह से मिशन विलंबित हो गया। इसके बाद जीआइएसएटी-1 को मार्च, 2021 में लांच करने की योजना बनाई गई, लेकिन सेटेलाइट की बैटरी में दिक्कत की वजह से लांच को एक बार फिर स्थगित करना पड़ा था। बैटरी बदले जाने के बाद सेटेलाइट को लांच करने की तैयारी की जा रही थी, लेकिन तभी कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश को अपनी चपेट में ले लिया। इसरो बता चुका है कि जीआइएसएटी-1 निश्चित अंतराल पर एक बड़े क्षेत्र की तात्कालिक तस्वीरें उपलब्ध कराएगा। इससे प्राकृतिक आपदाओं, प्रासंगिक घटनाओं और अल्पकालिक घटनाओं की तत्काल निगरानी भी संभव हो सकेगी।
सितंबर में भी लांचिंग की तैयारी
इसरो के मुताबिक, जीआइएसएटी-1 के बाद सितंबर में 1,800 टन वजनी ईओएस-4 या आरआइएसएटी-1ए को लांच किया जाएगा। यह रडार इमेजिंग सेटेलाइट दिन और रात दोनों में तस्वीरें लेने में सक्षम होगा और बादल इसमें बाधा नहीं बनेंगे। इसे पीएसएलवी से लांच किया जाएगा और देश की सुरक्षा में इसकी अहम भूमिका होगी।