ब्लैक फंगस के खिलाफ स्वदेशी दवा उतारने का ऐलान, जानें दवाई से जुड़ी अहम घोषणा
देश में कोरोना के बाद ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने लगे हैं। सरकार के मुताबिक देश में अब तक ब्लैक फंगस के 5 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इस बीच ब्लैक फंगस के खिलाफ स्वदेशी दवा उतारने का एलान सही फैसला हो सकता है।
नई दिल्ली, ब्यूरो। देश में ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमायकोसिस के ब़़ढते मामलों के बीच एक घरेलू कंपनी ने इसकी नई दवा उतारने का एलान किया है। हैदराबाद स्थित एमएसएन लैब्रोरेटरीज ने भारतीय बाजार में पोसाकोनाजोल लांच करने की घोषणा की है। इस दवा को कंपनी ने 100एमजी डिलेड रिलीज टैबलेट और 300 एमजी इंजेक्शन के रूप में पेश करने की घोषषणा की है। कोविड-19 से ठीक हो रहे कई मरीजों में म्यूकोरमायकोसिस नामक दुर्लभ और मारक फंगल संक्रमण पाया गया है, जो ब्लैक फंगस के नाम से मशहूर है। कंपनी का दावा है कि उसकी इस दवा को भारतीय औषषधि महानियंत्रक ([डीसीजीआइ)] से मंजूरी मिल चुकी है।
एंफोटेरिसिन-बी की उपलब्धता ब़़ढाई जा रही
ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस के ब़़ढते मामलों को देखते हुए सरकार इसके इलाज में अहम एंफोटेरिसिन-बी की उपलब्धता भी ब़़ढाने में जुट गई है। सरकार की ओर से कहा गया है कि देश में एंफोटेरिसिन-बी दवा की सप्लाई सीमित थी, लेकिन अब इसकी आपूर्ति लगातार ब़़ढाई जा रही है। सरकार ने इसकी उपलब्धता ब़़ढाने के लिए पहले ही पांच और कंपनियों को इसके उत्पादन की मंजूरी दे दी है। इसके अलावा मौजूदा कंपनियां भी अपनी उत्पादन क्षमता ब़़ढा रही हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने बताया है कि भारत में अब तक ब्लैक फंगस संक्रमण (म्यूकर माइकोसिस) के कुल 5,424 मामले सामने आए हैं। ये मामले 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज किए गए हैं। इतना ही नहीं, ब्लैक फंगस के 55 फ़ीसदी मरीजों को डायबिटीज भी थी।
कैसे फैलता है ब्लैक फंगस ?
ब्लैक फंगस से नाक, आंख, साइनस और कभी-कभी दिमाग को भी नुकसान पहुंचता है। इंसानों में ब्लैक फंगस के संक्रमण के मामले बहुत कम मिलते हैं। मिट्टी, पौधों, खराब फल और सब्जियों में ब्लैक फंगस होते हैं और इसके संपर्क में आने के बाद कभी-कभी इंसान भी इससे संक्रमित हो जाता है। डाक्टरों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान स्टेरायड का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्टेरायड से रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित करती है और ब्लैक फंगस कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को ही पक़़डता है। यही वजह है कि कोरोना से ठीक होने वाले ज्यादातर मरीज, खासकर डायबिटिक के मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं।