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भारत-चीन के बीच सहमति के संकेत, वार्ताओं का दौर जारी रहेगा, गलवन पर अभी भी फंसा पेंच

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयींग ने कहा है कि कूटनीतिक व सैन्य स्तर पर हो रही बातचीत का सकारात्मक असर दिख रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 10 Jun 2020 10:19 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2020 10:19 PM (IST)
भारत-चीन के बीच सहमति के संकेत, वार्ताओं का दौर जारी रहेगा, गलवन पर अभी भी फंसा पेंच
भारत-चीन के बीच सहमति के संकेत, वार्ताओं का दौर जारी रहेगा, गलवन पर अभी भी फंसा पेंच

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच लद्दाख से जुड़े सीमा क्षेत्र में कई स्थलों पर उपजे विवाद को सुलझाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। बुधवार को दोनों देशों के सैन्य प्रतिनिधियों के बीच दूसरे चरण की बातचीत हुई जिससे जल्द ही विश्वास बहाली के लिए और कदम उठाये जाने के संकेत मिले हैं।

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गलवन क्षेत्र में चीनी घुसपैठ को लेकर पेंच अभी फंसा हुआ है

दोनों पक्षों के बीच पिछले शुक्रवार और शनिवार को भी विदेश मंत्रालय व सैन्य स्तरीय बातचीत हुई थी जिसके बाद तीन विवादित स्थलों से अपनी अपनी सेनाओं को पीछे हटाने की सहमति बनी है। वैसे अभी यह सूचना भी आ रही है कि गलवन क्षेत्र में चीनी घुसपैठ को लेकर पेंच अभी फंसा हुआ है। आने वाले दिनों में भी बातचीत का दौर जारी रहेगा।

भारत व चीन वार्ता 2017 के डोकलाम से अलग है

भारत व चीन के बीच हो रही इस बातचीत के बारे में बताया जा रहा है कि यह वर्ष 2017 के डोकलाम समस्या के दौरान हुई बातचीत से काफी अलग है। डोकलाम में शीर्ष स्तर पर बातचीत का ज्यादा असर पड़ा था, लेकिन इस बार दोनो पक्षों के जमीन पर सीधे तौर पर सैन्य कार्रवाई से जुड़े अधिकारियों के बीच बातचीत हो रही है।

दोनों तरफ की सेनाएं अप्रैल, 2020 के पहले वाली स्थिति में जानी चाहिए- मेजर जनरल बापत

बुधवार को भारतीय पक्ष की अगुवाई मेजर जनरल अभिजीत बापत ने की है। चीन ने अपनी तरफ से और विश्वास बहाली के संकेत दिए हैं, लेकिन भारत अपने इस रुख पर अडिग है कि दोनों तरफ की सेनाएं अप्रैल, 2020 के पहले वाली स्थिति में जानी चाहिए। भारत ने आधिकारिक तौर पर अभी तक यह नहीं कहा है कि चीन के कितने सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का कहां तक अतिक्रमण किया है।

रक्षा मंत्री ने कहा था- चीनी सैनिकों ने एलएसी का उल्लंघन किया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह कहा था कि चीन के सैनिकों ने खासी संख्या में एलएसी का उल्लंघन किया है। शनिवार को सैन्य अधिकारी स्तर की बातचीत के बाद रविवार और सोमवार को कम से कम तीन विवादित स्थलों से चीन ने अपने सैनिकों को 2 से 2.5 किलोमीटर पीछे किया है। भारत ने भी अपनी तैनाती में ढिलाई बरती है और इन तीनों स्थलों से सेनाओं को पीछे किया है।

चीन ने स्वीकार किया कि दोनों देशों में  तनाव को कम करने की सहमति बन रही है

जहां तक चीन के आधिकारिक तौर पर रुख का सवाल है तो उसका विदेश मंत्रालय अभी भी इसे एक बड़ा घटनाक्रम नहीं मान रहा है। बुधवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने इस बात को स्वीकार किया है कि दोनों पक्षों के बीच तनाव को कम करने की सहमति बन रही है।

चुनयींग ने कहा- कूटनीतिक व सैन्य स्तरीय वार्ता का सकारात्मक असर दिख रहा

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयींग ने कहा है कि कूटनीतिक व सैन्य स्तर पर हो रही बातचीत का सकारात्मक असर दिख रहा है। दोनों पक्ष सीमा पर तनाव कम करने के लिए कदम उठा रहे हैं। सनद रहे कि चीन का विदेश मंत्रालय लगातार यह बयान देता रहा है कि भारत के साथ सीमा पर हालात नियंत्रण में हैं।

जानकारों के मुताबिक बुधवार को हुई बातचीत के बाद आगे भी डिवीजनल व ब्रिगेड डिवीजनल स्तर की बातचीत होगी। इन वार्ताओं के बाद ही शांति स्थापित करने की मौजूदा कोशिशों की असली परीक्षा होगी।


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