चांद पर फरवरी मध्य तक भेजा जा सकता है चंद्रयान-2
उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-1 भारत का चंद्रमा पर भेजा जाने वाला पहला अभियान था। इसे इसरो ने अक्टूबर, 2008 में लांच किया था
बेंगलुरु, प्रेट्र/आइएएनएस। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रमा पर अपना दूसरा अभियान चंद्रयान-2 अगले महीने भेज सकता है। स्वदेशी अंतरिक्ष एजेंसी ने सबसे जटिल चंद्रयान-2 समेत इस साल 32 अभियानों को लांच करने की तैयारी की है।
इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि भारत का पहले मानव अंतरिक्ष अभियान 'गगनयान' की तैयारी इस वर्ष अपने चरम पर होगी। इसके जरिए पहली बार तीन भारतीयों को इसरो अंतरिक्ष में भेजेगा। इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने अपने नववर्ष संदेश में कहा कि वर्ष 2019 इसरो के लोगों के सबसे चुनौती भरा होगा। इस साल 14 लांच वेहिकल, 17 उपग्रहों और एक टेक डेमो मिशन समेत कुल 32 अंतरिक्ष अभियानों को लांच करने की योजना है। इसमें सबसे अहम और जटिल चंद्रयान-2 होगा। यह एसएलपी (सेकेंड लांच पैड) से भेजा जाने वाला 25वां अभियान होगा।
इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसे जल्द लांच करने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। फरवरी के मध्य में इस अभियान को लांच करना संभव हो सकता है। हालांकि अभी तक इसके लिए कोई तारीख सुनिश्चित नहीं की गई है। इस अभियान में कोई बाधा नहीं है। सब कुछ ट्रैक पर है। इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए अंतरिक्ष में विंडो जनवरी से फरवरी के मध्य तक ही खुली है।
उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-2 पूर्णत: स्वदेशी अभियान है। इसमें एक आर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर यान शामिल है। इसरो के मुताबिक चंद्रमा पर नियंत्रित लैंडिंग के बाद चंद्रयान का लैंडर चंद्रमा की नरम सतह पर उतरेगा। और निर्दिष्ट स्थान पर एक रोवर को तैनात करेगा। छह पहियों का रोवर चंद्रमा की सतह पर अर्द्ध-स्वायत्त मोड में घूमेगा। यह मोड भी धरती पर निर्धारित कमांड से ही काम करेगा।
3,290 किलो का चंद्रयान-2 चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जाएगा और चंद्रमा की सतह व उसके माहौल को हर स्तर पर परखा जाएगा। चंद्रमा की सतह से भेजे गए पेलोड वैज्ञानिक सूचनाएं एकत्र करेंगे। यह पेलोड खनिज, चंद्रमा के मूल तत्वों का अध्ययन, चंद्रमा के बर्हिमंडल, हाइड्राक्सिल की संरचना और बर्फीले जल आदि के नमूनों को भेजेंगे और उनका अध्ययन करेंगे।
उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-1 भारत का चंद्रमा पर भेजा जाने वाला पहला अभियान था। इसे इसरो ने अक्टूबर, 2008 में लांच किया था और इसका संचालन अगस्त, 2009 तक किया गया था। इसी अभियान के जरिए पहली बार चंद्रमा पर अथाह जलराशि होने का पता चला था। इसके बाद नासा ने भी चंद्रमा पर अपना अभियान भेजकर वहां पानी होने की पुष्टि की थी।