Move to Jagran APP

ऊर्जा संकट पर जानें कैसा है भारत के पड़ोसी देशों का हाल और क्‍या है इसके पीछे की बड़ी वजह

ऊर्जा संकट से केवल भारत ही नहीं जूझ रहा है बल्कि भारत के पड़ोसी देश भी इस समस्‍या से दो चार हो रहे हैं। हर जगह परेशानी लगभग एक जैसी ही है। अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कोयला और प्राकृतिक गैस की कीमतों में उछाल आया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 08:24 AM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 03:30 PM (IST)
ऊर्जा संकट पर जानें कैसा है भारत के पड़ोसी देशों का हाल और क्‍या है इसके पीछे की बड़ी वजह
ऊर्जा संकट से कई देश हैं परेशान

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। बीते कुछ समय से दुनिया के कुछ देश लगातार ऊर्जा संकट से जूझ रहे हैं। भारत भी इनमें से एक है। हालांकि भारत में अब स्थिति सुधरती दिखाई दे रही है। हर जगह इसकी वजह से आम से खास आदमी भी परेशान है। इसके पीछे के बड़े कारणों की बात करें तो अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कोयले, प्राकृतिक गैस, कच्‍चे तेल की कीमत का बेतहाशा बढ़ना है। फिलहाल ये अपने रिकार्ड स्‍तर पर हैं। इसकी वजह से न केवल मंहगाई में इजाफा हुआ है बल्कि ऊर्जा संकट भी बढ़ा है।

loksabha election banner

अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में गैस की कीमत इसी वर्ष में अब तक करीब 250 फीसद तक बढ़ गई है। इसकी सबसे अधिक मार यूरोपीय देशों को झेलनी पड़ रही है। यहां पर जनवरी से अब तक गैस की कीमत करीब छह गुना तक बढ़ गई है। वहीं एशियाई देशों की बात करें तो यहां पर भी ईंधन की कीमत में इजाफा हुआ है। जैसे-जैसे ऊर्जा संकट गहराता गया वैसे-वैसे ही कच्‍चे तेल की मांग ढाई लाख बैरल से बढ़कर साढे सात लाख बैरल प्रतिदिन तक हो गई है। माना जा रहा है कि अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कच्‍चे तेल की कीमत अभी और बढ़ सकती है।

भारत की बात करें तो देश अपनी जरूरत की ऊर्जा का अधिकतर कोयले से बनने वाली बिजली से पूरा करता है। लेकिन भारत की खदान से निकलने वाला कोयला बहुत अच्‍छी क्‍वालिटी का न होने की वजह से इसको इंडोनेशिया, अमेरिका और आस्‍ट्रेलिया से आयात किया जाता है। लेकिन बीते कुछ समय में ही इंडोनेशिया से आने वाले कोयले की कीमत 60 डालर प्रति टन से 250 डालर प्रतिटन तक जा पहुंची है। इसकी वजह से आयातित कोयले में कमी आई है।

इसका नतीजा देश में हुई कोयले की कमी के तौर पर देखा गया, जिसका सीधा असर बिजली उत्‍पादन पर पड़ा है। हालांकि इस कमी को पूरा करने के लिए कोयले का उत्‍पादन बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। वैसे इस बार देश में कोयले का उत्‍पादन पहले की अपेक्षा करीब 19.33 फीसद तक बढ़ा है। वहीं बिजली की मांग और उसका उत्‍पादन भी बढ़ा है। बहरहाल, अब देश में ऊर्जा संकट के बादल छंटने लगे हैं।

पाकिस्‍तान की बात करें तो वहां पर अधिकतर बिजली उत्‍पादन हाइडल पावर प्‍लांट और एलएनजी के जरिए होता है। लेकिन इस बार वहां पर बारिश की कमी और अंतराष्‍ट्रीय बाजार में प्राकृतिक गैस की कीमत में आए उछाल की वजह से बिजली उत्‍पादन प्रभावित हुआ है। बता दें कि यहां पर महज छह फीसद बिजली उत्‍पादन कोयला आधारित संयंत्रों से होता है। अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में बढ़ी कोयले की कीमत का असर भी यहां के बिजली उत्‍पादन पर हुआ है।

श्रीलंका में अधिकतर बिजली उत्‍पादन कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से ही होता है। लेकिन, बारिश समेत दूसरी समस्‍याओं के चलते यहां पर बिजली उत्‍पादन लगातार कम हो रहा है। इसकी वजह से पावर कट की समस्‍या आ रही है। सरकार की तरफ से बताया गया है कि देश में बिजली की मांग हर वर्ष पांच फीसद की दर से बढ़ रही है। वहीं बिजली उत्‍पादन इस दर से नहीं बढ़ रहा है।

चीन भी भारत की तरह ही बिजली संकट से दो चार हो रहा है। यहां पर कोयला करीब 223 रुपये प्रतिटन हो गया है। बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी से उत्‍पादन में दिक्‍कत हो गई है। देश के कई जिलों में जबरदस्‍त बिजली कटौती की जा रही है। बिजली संकट को देखते हुए खाद्य प्रसंस्‍करण समेत कुछ दूसरे प्‍लांट को फिलहाल बंद रखने के आदेश दिए गए हैं।

जापान में कोयला, गैस और कच्‍चे तेल की कीमतों में इजाफा होने के बाद यहां पर बिजली की कीमत भी बढ़ गई है। यहां पर बिजली की कीमत 33 रुपये प्रति यूनिट है। रसोई गैस और तेल की कीमत में हुए इजाफे का सीधा असर यहां के खाद्य पदार्थों की कीमत पर पड़ा है। इनके दामों में जबरदस्‍त तेजी देखी गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.