आइएस में शामिल होने गये भारतीय कहां हैं, इसका पर्दाफाश कब होगा?
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने वर्ष 2015 में इस बात का खुलासा किया था कि तकरीबन दो दर्जन भारतीय आइएस को ज्वाइन करने के लिए इराक गये थे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। इराक में चार वर्ष पहले लापता 39 भारतीयों के रहस्य पर से तो पर्दा उठ गया, लेकिन आतंकी संगठन आइएस में शामिल होने के लिए गये भारतीय कहां गायब हुए इसका पर्दाफाश अभी होना बाकी है। इराक के शहर मोसुल के आस-पास के सामूहिक कब्रों में अभी तक सैकड़ों विदेशी नागरिकों के शवों की शिनाख्त हो चुकी है, लेकिन इनमें से उक्त 39 भारतीयों के शवों के अवशेष के अलावा और किसी भी भारतीय के शव होने की सूचना सरकार को नहीं मिली है।
इराक में शवों की पहचान की चल रही कार्रवाई पर विदेश मंत्रालय के साथ ही भारतीय खुफिया एजेंसियां भी नजर बनाये हुए है। ये एजेंसियां कई वर्षों से इस बात की छानबीन में जुटी हैं कि इस्लामिक एस्टेट में शामिल होने के लिए गये कितने भारतीय गये और उनके साथ क्या हुआ?
दैनिक जागरण ने विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वहां शवों का पता लगाने वाली एजेंसी मार्टियर्स फाउंडेशन के साथ संपर्क में है। इराक में गायब दूसरे भारतीयों के शवों का पता लगेगा या नहीं यह कहना मुश्किल है क्योंकि उक्त 39 भारतीयों के डीएनए के बारे में पहले से ही जानकारी थी। इसलिए उनके डीएनए का मिलान करना आसान था। उक्त अधिकारी का कहना है कि मोसुल के गांव बोदुश में जहां उक्त भारतीयों के शव मिले हैं वहां दर्जनों कब्र मिले हैं जिनकी शिनाख्त होना अभी शेष है।
सनद रहे कि भारतीय खुफिया एजेंसियों ने वर्ष 2015 में इस बात का खुलासा किया था कि तकरीबन दो दर्जन भारतीय आइएस को ज्वाइन करने के लिए इराक गये थे। इनमें से छह के मारे जाने की बात कही गई थी जबकि दो के वापस भारत आने की पुष्टि भी इन एजेंसियों ने की थी। लेकिन शेष के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। इसके बाद वर्ष 2016 में इस बात का खुलासा हुआ कि केरल से तकरीबन 22 युवकों व युवतियों का एक दूसरा जत्था भी आइएस में शामिल होने के लिए गया है।
खुफिया एजेंसियों ने आशंका जताई है कि इनमें से कुछ इराक गये, जबकि कुछ के बारे में यह सूचना मिली थी कि अफगानिस्तान के नंगरहर इलाके में वे आइएस के समूह में देखे गये हैं। इन दोनों दलों के बारे में वर्षों से कोई सूचना नहीं मिली है। खुफिया एजेंसियां यह अंदाजा भी लगा रही है कि अप्रैल, 2017 में जब अमेरिका ने इस इलाके में बेहद शक्तिशाली (मदर ऑफ ऑल बम-एमओएबी) बम गिराया था उसमें मारे गये आइएस आतंकियों में कुछ भारतीय भी शामिल हो सकते हैं।