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भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाई रसीले अंगूरों की नई किस्म, किसान व उपभोक्ता दोनों के लिए वरदान

फफूंदरोधी होने के साथ-साथ पैदावार के मामले में भी बेहतर है एआरआइ-516। जूस-जैम बनाने में आएगा काम बढ़ेगी किसानों की आय।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 09:57 AM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 10:34 AM (IST)
भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाई रसीले अंगूरों की नई किस्म, किसान व उपभोक्ता दोनों के लिए वरदान
भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाई रसीले अंगूरों की नई किस्म, किसान व उपभोक्ता दोनों के लिए वरदान

नई दिल्ली, नेशनल डेस्क आघारकर अनुसंधान संस्थान (एआरआइ) पुणे के वैज्ञानिकों ने रसीले अंगूर की एक नई किस्म विकसित की है जो फफूंदरोधी होने के साथ-साथ पैदावार के मामले में भी अन्य से बेहतर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अंगूर की किस्म जूस, जैम और रेड वाइन बनाने के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है। इसलिए किसान भी इसे लेकर काफी उत्साहित हैं।

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दो किस्मों के अंगूरों को मिलाकर बनी नई प्रजाति

वैज्ञानिकों ने कहा है कि एआरआइ-516 नामक अंगूर की यह प्रजाति दो किस्मों के अंगूर-काटावाबा तथा विटिस विनिफेरा को मिलाकर विकसित की गई है। यह बीज रहित होने के साथ ही फफूंदरोधी भी है। इन अंगूरों की खासियत यह थी कि इनके जीन्स एक जैसे थे। ये कीट रोधी होने के साथ ही अपनी गुणवत्ता के लिए भी जाने जाते हैं।

पांच राज्यों की जलवायु अनुकूल

महाराष्ट्र एसोसिएशन फॉर कल्टिवेशन साइंस (एमएसीएस) और एआरआइ के वैज्ञानिकों ने मिलकर इसकी नई पौध तैयार की है। एआरआइ की कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुजाता तेताली ने कहा कि अंगूर की नई किस्म 110 -120 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। इसके लिए महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब और पश्चिम बंगाल की जलवायु अनुकूल है।

भारत प्रमुख अंगूर उत्पादक देश है

भारत दुनिया के प्रमुख अंगूर उत्पादक देशों में शुमार है और भारतीय अंगूर की विदेशों में काफी मांग रहती है। लेकिन फफूंद और अन्य रोग अंगूरों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं, जिसके कारण किसान भी परेशान रहते हैं। किसानों की इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए अब वैज्ञानिकों ने इसकी नई किस्म तैयार की है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस अंगूर से निश्चित तौर पर किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

अंगूर उत्पादन में महाराष्ट्र सबसे आगे

बता दें कि अंगूर उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में भारत का 12वां स्थान हैं। यहां लगभग 78 फीसद अंगूर का उत्पादन सीधे खाने के लिए किया जाता है। 17-20 फीसद अंगूरों से किश्मिश और मुनक्के तैयार किए जाते हैं। 1.5 फीसद अंगूरों से वाइन बनाई जाती है और 0.5 फीसद अंगूरों से जूस बनाया जाता है। भारत में महाराष्ट्र में अंगूरों का सबसे ज्यादा उत्पादन किया जाता है। इसकी खेती में इस राज्य का योगदान कुल उत्पादन का 81.22 फीसद है।

अंगूर के फायदे

1. जुकाम से राहत - जुकाम होने पर प्रतिदिन 50 ग्राम अंगूर खाएं, इससे काफी राहत मिलेगी।

2. ब्लड प्रेशर - अंगूर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में भी मददगार होता है।

3. चेचक रोग - इस महामारी से निपटने में भी अंगूर फायदेमंद माना जाता है।

4. कब्ज - अंगूर को काले नमक के साथ खाने से कब्ज से राहत मिलती है।

5. कैंसर में लाभदायक - अंगूर का रस कैंसर रोगियों के लिए भी लाभदायक माना जाता है।

6. माइग्रेन में राहत - अंगर का नियमित सेवन करने से माइग्रेन में भी रहात मिलती है।

7. एंटीऑक्सीडेंट - अंगूर में काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो आपके शरीर के अंदर से गंदगी साफ करता है।

8. भरपूर विटामिन - अंगूर में भरपूर मात्रा में विटामिन पाया जाता है। इसमें कैलोरी, फाइबर, विटामिन ई व सी पाया जाता है।

9. अन्य पोषक तत्व - अंगूर में ग्लूकोज, मैग्नीशियम और साइट्रिक एसिड जैसे कई तरह के पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।

(नोट - ऊपर दिए गए फायदे सामान्य व स्वस्थ्य व्यक्ति के लिए हैं।)


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