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भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाए छोटे और तेज रफ्तार मानवरहित यान, दुश्मन खेमे में लगाएंगे सेंध

दुश्मन के जिन क्षेत्रों में सैनिक बेधड़क नहीं घुस सकते, उनमें छोटे और तेज रफ्तार मानवरहित यान सेंध लगाएंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 10:57 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 10:57 AM (IST)
भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाए छोटे और तेज रफ्तार मानवरहित यान, दुश्मन खेमे में लगाएंगे सेंध
भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाए छोटे और तेज रफ्तार मानवरहित यान, दुश्मन खेमे में लगाएंगे सेंध

विक्सन सिक्रोड़िया, कानपुर। दुश्मन के जिन क्षेत्रों में सैनिक बेधड़क नहीं घुस सकते, उनमें छोटे और तेज रफ्तार मानवरहित यान सेंध लगाएंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर ने तीन अलग-अलग तरह के ड्रोन व हेलीकॉप्टर बनाए हैं। जिन क्षेत्रों में सैनिकों को जाने में मुश्किल होगी, वहां ये छोटे यान तेजी से घुसकर न केवल जानकारी जुटा लाएंगे बल्कि दुश्मन के उड़ते हुए ड्रोन को भी पकड़ लाएंगे। इनकी और भी अनेक खूबियां हैं। जरूरत पड़ने पर दुर्गम स्थानों पर 20-25 किलोग्राम तक का वजनी सामान भी पहुंचा आएंगे। ये हवा में तीन से पांच घंटे तक रह सकते हैं। ड्रोन की तरह ऊपर उठकर एयरोप्लेन की तरह उड़ान भर सकते हैं। इस तरह के विशेष मानवरहित यान बनाने में आइआइटी को एक से तीन वर्ष का समय लगा। अब इन सबका ट्रायल पूरा हो चुका है।

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सैनिकों तक खान-पान व जरूरी चीजें पहुंचाएगा दो रोटार वाला यान

दो रोटार वाला मानवरहित यान 13 से 15 किलोग्राम तक का वजन उठाकर साढ़े तीन किलोमीटर ऊंचाई तक उड़ सकता है। इस यान का उन स्थानों पर भोजन, कपड़े व छोटे हथियार पहुंचाने में इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां बड़े यान का पहुंचना मुश्किल है। इसमें ईंधन के लिए 2.4 लीटर के दो टैंक लगाए हैं। ईंधन फुल होने पर यह लगातार तीन घंटे उड़ सकता है। भौगोलिक स्थिति के अनुसार यह उस क्षेत्र की हर तरह की मैपिंग भी कर सकता है। कंप्यूटर से नियंत्रित होने वाला यह यान नाविक ऑटो पायलट सॉफ्टवेयर के जरिए चलता है, जिसे कहीं से भी बैठकर नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें 60 सीसी का इंजन, कैमरा, सेंसर व एनालिसिस डिवाइस लगी हुई है।

दुश्मन के ड्रोन पर कसेगा शिकंजा

आइआइटी के छात्रों ने देश का पहला ऐसा अनमेंड (मानवरहित) हेलीकॉप्टर बनाया है, जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) मॉड्यूल के जरिए अनाधिकृत ड्रोन (दुश्मन ड्रोन) को पहचान कर उसे जकड़ सकता है। 12 किलोग्राम का यह मिनी मानवरहित यान ढाई से तीन घंटे तक उड़ सकता है। स्प्रिंग मैकेनिज्म का इस्तेमाल कर इसमें जाल लोड किया गया है। दुश्मन ड्रोन के ट्रेस होते ही यह उस पर जाल छोड़कर उसे फंसा लेता है और जमीन पर ले आता है। इस यान को एयरोस्पेस साइंस के छात्र अंकुर, संजय, सागर व निदीश ने तैयार किया है। आइआइटी की एयर स्ट्रिप लैब में प्रयोग के बाद अब इसका इस्तेमाल एयर सिक्योरिटी के लिए किए जाने की तैयारी है। यह कार्बन फाइबर हेलीकॉप्टर 120 किलोमीटर की रफ्तार से उड़ सकता है। हवा में डेढ़ गुना बढ़ जाएगी

उड़ने की क्षमता

एयरोस्पेस के छात्रों ने एक ऐसा मानवरहित यान अनमेंड एरियल व्हीकल (यूएवी) बनाया है, जो हवा में पहुंचकर डेढ़ गुना रफ्तार से उड़ सकता है। यह पहला ऐसा मानवरहित यान है, जो ड्रोन व एयरोप्लेन दोनों का काम करता है। कुछ दूरी तक उड़ने के बाद यह एयरोप्लेन बन जाता है, जिससे किसी भी दिशा में एक प्लेन की तरह मूव कर सकता है। येलाहंका बेंगलुरू के एयर फोर्स स्टेशन में प्रदर्शन करने के लिए इसे चुना गया है। इसे लेकर छात्र वहां जा चुके हैं। यह यान डेढ़ घंटे तक हवा में उड़ सकता है। इसमें पांच हजार मिली एम्पियर ऑवर की बैटरी लगी हुई है। चार रोटार होने के कारण यह 90 डिग्री पर टेक ऑफ करता है। इससे छोटे छोटे सामान व उपकरण उठाए जा सकते हैं। तीन हजार मीटर ऊंचाई तक उड़ सकने वाले इस यान को एयरोस्पेस साइंस के छात्र निधीशराज, रामाकृष्णा और अनिमेष शास्त्री ने बनाया है।


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