Move to Jagran APP

Indian Science Congress 2019: प्लास्टिक से तैयार हो रहा पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस

एक किलो प्लास्टिक से बनता है 850 ग्राम डीजल। इस शहर में लग चुका है देश का पहला प्लांट। जानें और क्या हैं संभावनाएं और आपको कितना होगा लाभ।

By Amit SinghEdited By: Published: Sat, 05 Jan 2019 12:32 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jan 2019 03:35 PM (IST)
Indian Science Congress 2019: प्लास्टिक से तैयार हो रहा पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस
Indian Science Congress 2019: प्लास्टिक से तैयार हो रहा पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस

जालंधर [कमल किशोर]। पॉलीथिन एक वैश्विक समस्या बन चुकी है। पूरी दुनिया में इस समस्या से निपटने के तमाम प्रयास चल रहे हैं। भारत में भी पॉलीथिन या प्लास्टिक कचरा, विकराल समस्या बन चुका है। भारत में नालियों व सीवर के जाम होने की मुख्य वजह पॉलीथिन है। भोजन के साथ जानवरों के पेट में पॉलीथिन पहुंचने से वह बीमारी पड़ रहे हैं या मौत हो जा रही है। पॉलीथिन का उचित निस्तारण न होने से जमीन की उर्वरा शक्ति भी लगातार घट रही है। अब भारत ने पॉलीथिन की इस समस्या से निपटने के लिए ऐसा रास्ता निकाला है, जो आम लोगों के लिए भी काफी राहत भरा होगा। साथ ही ये देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा।

loksabha election banner

जालंधर में चल रहे इंडियन साइंस कांग्रेस में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने पॉलीथिन के निस्तारण की नई तकनीक पेश की है। संस्था के डॉ बीआर नौटियाल ने इस तकनीक के जरिए खराब प्लास्टिक व पॉलीथिन से डीजल, रसोई गैस व पेट्रोल बनाने की बात कही है। उन्होंने बताया कि पॉलीथिन को पूरी तरह से गलने में करीब 100 वर्ष का समय लगता है। तब तक उससे प्रदूषण फैलता रहता है।

ऐसे बनता है ईंधन
प्लास्टिक या पॉलीथिन को साफ करके एसट्रूडर में डाला जाता है। एसट्रूडर के साथ ही प्लास्टिक व पॉलीथिन को हीट की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। इस दौरान पॉलीथिन या प्लास्टिक से गैस अलग हो जाती है और तरल पतार्थ बच जाता है। उस तरल पदार्थ को कैटालिस्ट में डाला जाता है। कैटालिस्ट में डालने के बाद उक्त तरल से पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस बनाई जा सकती है।

एक किलो प्लास्टिक से 850 ग्राम डीजल
एक किलोग्राम प्लास्टिक से 850 ग्राम डीजल, 500 ग्राम पेट्रोल और 700 ग्राम रसोई गैस बना सकते हैं। देहरादून में देश का पहला प्लास्टिक से पेट्रोल, डीजल व एलपीजी गैस बनाने का प्लांट लगाया गया है। यहां फिलहाल कम मात्रा में पेट्रोल, डीजल व एलपीजी तैयार करने का काम जारी है।

आम लोगों को इस तरह मिलेगा लाभ
वैज्ञानिक डॉ. बीआर नौटियाल ने कहा कि देहरादून में लगे प्लांट में पेट्रोल व डीजल तैयार किया जा रहा है। इस रिसर्च को पेटेंट कराया जा चुका है। अगर देश के सभी राज्यों में प्लांट लगते हैं तो पेट्रो केमिकल की पैदावार अधिक होगी। अभी पश्चिमी देशों में क्रूड ऑयल की कीमत बढऩे के साथ भारत में पेट्रो केमिकल की कीमत भी बढ़ जाती है। देहरादून स्थित प्लांट में खराब या कचरे की पॉलीथिन अथवा प्लास्टिक से पेट्रो-केमिकल बनाने का काम जारी है। इससे आने वाले समय में भारत को पेट्रोल की कीमतें बढ़ाने या घटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमतों पर निर्भर नहीं रहना होगा। इससे देश में पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की कीमत नियंत्रित की जा सकती है। साथ ही प्लास्टिक से होने वाले खतरों को भी टाला जा सकता है, जो सीधे तौर पर आम लोगों को राहत पहुंचाएगी।

प्लास्टिक से हुए हैं और भी शोध
प्लास्टिक या पॉलिथीन कचरे के निस्तारण के लिए इससे पहले भी भारत समेत दुनिया भर में कई खोज हो चुकी हैं। भारत समेत कुछ देशों में प्लास्टिक से सड़क निर्माण अथवा मरम्मत कार्य बृहद स्तर पर होता है। इसके अलावा कई देशों में प्लास्टिक कचरे से बिजली का भी उत्पादन किया जाता है। भारत के भी कुछ शहरों में प्लास्टिक युक्त ठोस कचरे से बिजली बनाई जा रही है। भारत में ही कुछ जगहों पर प्लास्टिक से सजावटी सामान, पायदान व चटाई जैसी घरेलू चीजें भी बनाई जा रही हैं। कुछ देशों में कचरे की प्लास्टिक से खास किश्म के कपड़े बनाने पर भी रिसर्च चल रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार फिलहाल प्लास्टिक का पूरी तरह से निस्तारण विश्व के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है। भविष्य में शायद ऐसा न हो।

अमेरिका में सबसे ज्यादा प्रयोग होती है प्लास्टिक
प्लास्टिक या पॉलीथिन के प्रयोग में विकसीत राष्ट्र बहुत आगे हैं। इनमेें भी अमेरिका हर वर्ष सबसे ज्यादा प्लास्टिक का प्रयोग करता है। अमेरिका के मुकाबले भारत में सालाना मात्र 10 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट ही निकलता है। अमेरिका पूरी दुनिया के औसत प्लास्टिक यूज से भी तकरीबन चार गुना ज्यादा प्लास्टिक का प्रयोग करता है। वर्ष 2014-15 में अमेरिका में पर कैपिटा (प्रति व्यक्ति) प्लास्टिक यूज 109 किलो था। यूरोप में 65, चीन में 38, ब्राजील में 32 और भारत में मात्र 11 किलो रहा था।

यह भी पढ़ें-
‘अनजान मर्दों को भेजकर मां-बहन की फोटो खिंचवाऊं’, पढ़ें दबंग IAS चंद्रकला के चर्चित बयान
70 साल में पहली बार जनसंख्या घटने से चीन परेशान, जानें- कैसा है भारत का हाल
ट्र्रंप की 5.7 अरब डॉलर की जिद बन गई है अमेरिका के गले की फांस, जानें क्‍या है पूरा मामला
हवाई यात्रा लेट या रद होने पर मुफ्त होटल व भोजन की सुविधा, जानें- क्या हैं नियम
Rafale Deal: PM को घेरने के फेर में फंसे राहुल, सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स ने सिखाया गणित


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.