Indian Railways Report Zero Passenger Deaths: तो इसलिए रेल हादसों में मौतें रहीं शून्य
Indian Railways Report Zero Passenger Deaths भारतीय रेलवे की ओर से रेलवे में हादसों को दर्ज करने की श्रेणी की व्याख्या करने के साथ कई सवालों के जवाब दिए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। Indian Railways Report Zero Passenger Deaths हाल ही में रेलवे की ओर से पिछले वित्त वर्ष में रेल दुर्घटनाओं में एक भी मौत न होने का दावा किया गया था। इसके बाद नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने इस दावे की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। गुरुवार को भारतीय रेलवे की ओर से रेलवे में हादसों को दर्ज करने की श्रेणी की व्याख्या करने के साथ कई सवालों के जवाब दिए हैं।
दुर्घटनाओं की तीन श्रेणियां रेलवे ने स्पष्ट किया है कि उनके यहां तीन श्रेणियों में दुर्घटनाएं दर्ज की जाती हैं:
- अप्रिय घटनाएं
- परिणामी दुर्घटनाएं
- अतिक्रमण संबंधी दुर्घटनाएं
राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोष: नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का कहना है कि अनधिकार प्रवेश की श्रेणी में रखी गई सभी मौतों को राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोष के दायरे से बाहर नहीं रखा जा सकता है। 2017-18 में एक लाख करोड़ रुपये की रकम से यह कोष पांच साल के लिए गठित किया गया था। इसका मकसद सुरक्षात्मक और पूर्वाकलन रखरखाव तरीकों से रेलवे की सुरक्षा को मजबूत करना था। वित्त मंत्रालय इसके लिए हर साल 15 हजार रुपये मुहैया कराती है। शेष पांच हजार करोड़ रुपये सालाना रेलवे देती है। नीति आयोग के सीईओ ने एक पत्र में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव को कहा था कि मैं आपका ध्यान इस तथ्य की तरफ दिलाना चाहूंगा कि इन मौतों में से बहुत सी ट्रेन से या प्लेटफॉर्म से पटरी पर गिरने के कारण होती हैं। इस वजह से उन्हें राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोष के दायरे से बाहर नहीं रखा जाना चाहिए।
परिणामी दुर्घटनाओं में किया दावा: शून्य मौत का दावा परिणामी दुर्घटनाओं की श्रेणी में किया गया है। इसमें भिड़ंत, टक्कर या धक्का, ट्रेन का पटरी से उतरना, आग या ट्रेन मेंअनधिकार प्रवेश की घटनाएं नहीं शामिल रेलवे का कहना है कि जितनी भी मौतें हुई हैं वे रेलवे परिसर में अनधिकार प्रवेश या अतिक्रमण के चलते हुई हैं। साल 2018 में अमृतसर में दशहरा के दौरान 59 लोगों की मौत का मामला भी इनमें से एक है। धमाका, ट्रेनों की टक्कर इत्यादि जैसी घटनाएं शामिल है।