Indian Railways: कबाड़ की बिक्री से जुटाई रेलवे ने बड़ी राशि, पारदर्शिता के लिए की गई ई नीलामी
वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान स्क्रैप की नीलामी से कुल 4573 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान कुल स्क्रैप से कुल 4333 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। इसकी निगरानी सीधे जोनल रेलवे और रेलवे बोर्ड करते हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारतीय रेलवे ने स्क्रैप यानी कबाड़ की बिक्री कर 4,500 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं। पिछले वर्ष के मुकाबले यह 5.5 फीसद अधिक है। रेलवे अपने खुद के संसाधनों का उपयोग कर धन जुटाने का लगातार प्रयास करती रहती है। स्क्रैप बिक्री कारोबार में पारदर्शिता के लिए रेलवे ने ई-नीलामी शुरू की है, जिससे किसी भी तरह की गड़बड़ी की आशंका नहीं रह पाती है।
वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान स्क्रैप की नीलामी से कुल 4,573 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान कुल स्क्रैप से कुल 4,333 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। रेलवे में स्क्रैप का कारोबार बहुत ही संवेदनशील माना जाता है। इसीलिए इसकी निगरानी सीधे जोनल रेलवे और रेलवे बोर्ड करते हैं। रेलवे के निर्माण कार्यो में भारी मात्रा में स्क्रैप निकलता है। खासतौर पर रेल पटरियों के बदलने में पुरानी पटरियां काफी निकलती है। साथ ही रेलवे के कल-पुर्जो और अन्य छोटे बड़े उपकरणों के कारखानों से भी भारी मात्रा में स्क्रैप निकलता है।
कोरोना लॉकडाउन काल में रेलवे को भारी पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा है। अभी भी सिर्फ 80 फीसद ट्रेनें ही चल सकी हैं। भारतीय रेलवे ने पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादा मालढुलाई की है। कोरोना काल के जोखिम के दौरान रेलवे कर्मचारियों की कर्तव्य निष्ठा को सलाम करते हुए केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेल परिवार के नाम एक भावुक चिट्ठी लिखी है। उन्होंने ट्रेनों की पटरी से देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में सबकी भूमिका को याद किया। मंत्रालय की पिछले सालभर की कठिन यात्रा के दौरान कोविड-19 की आपदा में अपनों के खोने पर दुख जताते हुए गोयल ने कहा कि हम उन्हें भुला नहीं सकते हैं।
गोयल ने कहा कि 4,621 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से 63 लाख से अधिक फंसे हुए नागरिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। लाकडाउन के समय कई सारे प्रतिबंधों के बावजूद सुरक्षा और बुनियादी ढांचे से संबंधित 370 प्रमुख काम संपन्न किए गए। देश में पहली बार 'किसान रेल' सेवा हमारे अन्नदाताओं को बड़े बाजारों से जोड़ने की सूत्रधार बनी। रेल कर्मचारियों की सेवा से ही इसे संभव बनाया और लोगों के दिलों को छुआ।