Indian Railways: कश्मीर व नक्सल इलाकों के लिए रेलवे ने तैयार की 'CORAS' कमांडो यूनिट
रेलमंत्री पीयूष गोयल बुधवार को करेंगे कोरस लांच। कोरस को एनएसजी व ग्रे हाउंड्स के केंद्रों में मिली है खास ट्रेनिंग।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रेलवे ने पहली बार अपनी कमांडो यूनिट तैयार की है। 'कमांडोज फॉर रेलवे सेफ्टी' अर्थात 'कोरस' नाम दिया गया है। इसके कमांडो की तैनाती जम्मू एवं कश्मीर तथा नक्सल प्रभावित इलाकों में होगी। बुधवार को रेलमंत्री पीयूष गोयल तथा रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगदी एक समारोह में 'कोरस' को लांच करेंगे।
रेलवे सुरक्षा बल की अपनी कमांडो यूनिट का आइडिया आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार का है। उन्होंने आते ही इस पर काम करना शुरू कर दिया था। रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, फिलहाल 'कोरस' की पहली बटालियन में रेलवे के सभी 18 जोनों में तैनात आरपीएसएफ की पुरुष बटालियनों के शारीरिक व मानसिक रूप से सर्वाधिक फिट जवानों को शामिल किया गया है।
इन्हें विशेष यूनिफार्म, बुलेट प्रूफ जैकेट तथा हेलमेट के अलावा अत्याधुनिक स्वचालित हथियारों से लैस किया गया है। कोरस के कामकाज की निगरानी, दिशा निर्देशन और तैनाती के बारे में आरपीएफ महानिदेशक स्वयं सीधे फैसला लेंगे।
रेल मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, कोरस की ट्रेनिंग एनएसजी के मानेसर स्थित मुख्यालय के अलावा नक्सल आपरेशनों के लिए आंध्र प्रदेश व तेलंगाना पुलिस द्वारा विशेष रूप से तैयार 'ग्रे हाउंड्स' फोर्स के ट्रेनिंग सेंटरों में चार चरणों में हुई है।
बेसिक ट्रेनिंग के अलावा 'कोरस' कमांडो को अभी आगे और भी कई प्रकार के विशिष्ट व उन्नत प्रशिक्षणों से गुजारा जाएगा। इनमें सुरंगों तथा आइईडी की खोज व जांच कर उन्हें निष्कि्रय करने, बंधकों को अपहर्ताओं के चंगुल से छुड़ाने, दूरबीन राइफल से निशाना लगाकर दुश्मन को खत्म करने तथा दीवारों और छतों को भेदकर बाहर निकलने जैसे प्रशिक्षण शामिल हैं।
रेलवे सुरक्षा बल या आरपीएफ का गठन केंद्र सरकार ने 1957 में इसी नाम से संसद से पारित एक्ट के जरिये किया था। इसका कार्य रेलवे परिसंपत्तियों जैसे पटरियों, स्टेशनों, कारखानों की रक्षा के अलावा ट्रेनों में यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करना है। आरपीएफ और आरपीएसएफ में जवानों की स्वीकृत संख्या 76,653 है।
इस समय इसमें लगभग इतने ही जवान व अधिकारी कार्यरत हैं। सशस्त्र शाखा को आरपीएसएफ नाम से जाना जाता है। जिसका गठन सशस्त्र सेनाओं की तरह बटालियन पैटर्न पर किया गया है। फिलहाल इसकी 15 बटालियनें हैं। एक बटालियन में अमूमन 600 जवान होते हैं। नवगठित कमांडो बटालियन को 'कोरस' के रूप में जाना जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, निकट भविष्य में आरपीएफ का अपना कमांडो ट्रेनिंग सेंटर स्थापित हो सकता है।
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