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Indian Railways: अब सभी ट्रेनों के डिब्बे होंगे और भी ज्यादा 'स्मार्ट', जानें क्या होगी खासियत

स्मार्ट कोच की अवधारणा के पीछे वंदे भारत की कामयाबी है। जिसने पहली बार रेलवे के इंजीनियरों को इस बात का एहसास कराया कि वे भी विश्वस्तरीय ट्रेन और कोच बना सकते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 11 Jan 2020 07:48 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 12:18 AM (IST)
Indian Railways: अब सभी ट्रेनों के डिब्बे होंगे और भी ज्यादा 'स्मार्ट', जानें क्या होगी खासियत
Indian Railways: अब सभी ट्रेनों के डिब्बे होंगे और भी ज्यादा 'स्मार्ट', जानें क्या होगी खासियत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यात्री डिब्बों के उत्पादन में विश्व रिकार्ड बनाने के बाद भारतीय रेलवे ने अब डिब्बों को इंटेलीजेंट और स्मार्ट बनाने की दिशा में काम शुरू किया है। इसके तहत डिब्बों को सुविधाजनक, आरामदेह और सुरक्षित बनाने के लिए सेंसर लगाए जाएंगे। इसके लिए स्मार्ट कोच परियोजना प्रारंभ की गई है जिसका मकसद यात्रियों को विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान करना है। इस मुहिम के परिणाम लोगों को इसी वर्ष से दिखाई देने लगेंगे।

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यात्री डिब्बों के उत्पादन, संव‌र्द्धन और आधुनिकीकरण के इस महायज्ञ में रेलवे के 2000 से ज्यादा अधिकारी तथा तीन लाख से ज्यादा कर्मचारी अपनी मेधा और परिश्रम की आहुति दे रहे हैं और डिजिटाइजेशन और ऑटोमेशन के जरिए यात्री डिब्बों का संपूर्ण कायाकल्प करने में जुटे हैं। इस विशालकाय टीम का मकसद आइओटी, सेंसर, स्काडा, नेटवर्किंग, एनालिटिक्स, डायग्नास्टिक्स, एलर्ट इत्यादि तकनीकों के माध्यम से यात्री डिब्बों को इतना सुविधा संपन्न और तीव्रगामी बना देना है ताकि यात्रियों के लिए रेल का सफर कभी न भूलने वाला अनुभव बन जाए।

वैश्विक स्तर की तकनीक का उपयोग

दरअसल, स्मार्ट कोच की अवधारणा के पीछे 'वंदे भारत' की कामयाबी है। जिसने पहली बार रेलवे के इंजीनियरों को इस बात का एहसास कराया कि वे भी विश्वस्तरीय ट्रेन और कोच बना सकते हैं। वंदे भारत के कोच बनाने में पहली बार वैश्विक स्तर की तकनीक, कलपुर्जो और साज-सामान का उपयोग किया गया। इसके लिए आवश्यकतानुसार देश-विदेश की निजी क्षेत्र की कंपनियों की भी मदद ली गई। इससे रेलवे के इंजीनियरों को इस बात का भरोसा हो गया कि यदि उन्हें अपने हिसाब से काम करने की छूट मिले तो वे कोई भी करिश्मा कर सकते हैं।

वंदे भारत से प्राप्त इन्हीं अनुभवों का उपयोग अब तमाम अन्य ट्रेनों के लिए स्मार्ट कोच बनाने में किया जाएगा। ये कोच चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) के अलावा कपूरथला की रेलवे कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) तथा रायबरेली की माडर्न कोच फैक्ट्री (एमसीएफ) में बनाए जाएंगे, जहां कोच निर्माण सुविधाओं का विस्तार और आधुनिकीकरण किया गया है।

आइसीएफ ने बनाया विश्व रिकार्ड

ये पहला मौका है जब रेलवे की कोच उत्पादन इकाइयों ने उत्पादन में विश्व रिकार्ड बनाया है। आइसीएफ ने 2018-19 के दौरान 3000 कोच बनाकर चीन की सबसे बड़ी कोच फैक्ट्री को पीछे छोड़ दिया जो हर साल तकरीबन 2600 कोच बनाती है। अब आइसीएफ का लक्ष्य चालू वित्तीय वर्ष अर्थात 2019-20 में 4238 कोच बनाने का है।

दूसरी ओर आरसीएफ ने 2019-20 के दौरान अक्टूबर से पहले ही 1000 कोच बनाकर नया रिकार्ड कायम किया है। आरसीएफ ने वित्तीय वर्ष के अंत तक 1600 से अधिक कोच बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

अत्याधुनिक रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी का उपयोग

लेकिन सबसे बड़ा चमत्कार रायबरेली की माडर्न कोच फैक्ट्री (MCF) ने किया है। जिसने कोच निर्माण में अत्याधुनिक रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए वर्ष 2018-19 में 1425 कोच बनाकर पिछले वर्ष के मुकाबले दोगुना से अधिक उत्पादन कर दिखाया था। दिसंबर में उसने 220 कोच बनाकर चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए निर्धारित 2158 कोच उत्पादन के लक्ष्य को आसानी से प्राप्त करने के संकेत दिए हैं।

इनके अलावा अब पश्चिम बंगाल की हल्दिया फैक्ट्री में भी कोच निर्माण होने लगा है। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान हल्दिया को 30 कोच बनाने का लक्ष्य दिया गया है। ये चारों कोच फैक्टि्रयां 2019-20 के दौरान कुल मिलाकर 8026 कोच बनाएंगी। पांच वर्ष पहले तक देश में किसी भी साल 4000 से ज्यादा कोच नहीं बनते थे। जबकि 2020-21 में रेलवे का इरादा 10 हजार से ज्यादा कोच बनाने का है।


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