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Indian Railways : 44 वंदे भारत ट्रेनों के लिए छह बोली लगाने वालों में एक चीन की कंपनी भी शामिल

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने बताया ट्रेन सेट की निविदा के लिए हमें छह कंपनियों से बोलियां मिली हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 02:28 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 02:28 PM (IST)
Indian Railways : 44 वंदे भारत ट्रेनों के लिए छह बोली लगाने वालों में एक चीन की कंपनी भी शामिल
Indian Railways : 44 वंदे भारत ट्रेनों के लिए छह बोली लगाने वालों में एक चीन की कंपनी भी शामिल

नई दिल्ली, प्रेट्र। रेलवे की महत्वाकांक्षी सेमी हाईस्पीड स्वदेशी ट्रेन-18 परियोजना की वैश्विक निविदा में चीन की सरकारी कंपनी सीआरआरसी कॉरपोरेशन एकमात्र विदेशी कंपनी के रूप में सामने आई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 

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44 वंदे भारत एक्सप्रेस या ट्रेन-18 के लिए प्रोपल्शन सिस्टम्स या इलेक्टि्रक ट्रैक्शन किट की खरीद के लिए छह बोली लगाने वालों में सीआरआसी इलेक्टि्रक (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड भी शामिल है जो गुरुग्राम स्थित एक कंपनी के साथ चीनी कंपनी सीआरआरसी कॉरपोरेशन का संयुक्त उपक्रम है। अन्य बोली लगाने वालों में भारत हैवी इलेक्ट्रि‍कल्स, हैदराबाद स्थित मेधा ग्रुप, इलेक्ट्रोवेव्स इलेक्ट्रॉनिक प्राइवेट लिमिटेड और मुंबई स्थित पावरनेटिक्स इक्विपमेंट प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।

अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल शुरू हुई पहली ट्रेन-18 पर 100 करोड़ रुपये की लागत आई थी जिसमें से 35 करोड़ रुपये सिर्फ प्रोपल्शन सिस्टम पर खर्च किए गए थे। 44 ऐसी किटों के लिए वर्तमान निविदा 1,500 करोड़ रुपयों से ज्यादा की होगी।

 रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने बताया, 'ट्रेन सेट की निविदा के लिए हमें छह कंपनियों से बोलियां मिली हैं।' वर्तमान निविदा पिछले साल 22 दिसंबर को चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने जारी की थी और इसे शुक्रवार को खोला गया। इन ट्रेनों के लिए यह तीसरी ऐसी निविदा थी। पहली निविदा 43 ट्रेन सेट्स के लिए थी। लेकिन ऑर्डर सिर्फ तीन के लिए दिया गया जिनमें स्पेनिश कंपनी सीएएफ और मेधा ग्रुप शामिल थीं। मेधा ग्रुप ने ही पहली ट्रेन के लिए आपूर्ति की थी। दूसरी निविदा 37 ट्रेन-18 प्रोपल्शन सिस्टम्स के लिए जारी की गई थी, लेकिन उसे निरस्त कर दिया गया था। आश्चर्यजनक रूप से बॉम्बार्डियर, एल्सटॉम, सीमेंस, सीएएफ, टैल्गो और मित्सुबिशी ने निविदा में हिस्सा नहीं लिया।

भारत-चीन के बीच तनाव के मद्देनजर इन ट्रेन सेट्स के लिए चीनी कंपनी के सामने आने को स्वदेशी उत्पाद के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। बता दें कि चीनी सेना के साथ झड़प के बाद रेलवे ने 417 किमी लंबे कानपुर-दीन दयाल उपाध्याय सेक्शन पर चीन कंपनी द्वारा किए जा रहे 471 करोड़ के सिग्नलिंग व टेलीकम्युनिकेशन कार्य को रद कर दिया था। इसके अलावा बोली दस्तावेज में चीनियों का पक्ष लेने की भारतीय वेंडर्स की शिकायत के बाद थर्मल स्क्रीनिंग कैमरों की निविदा भी रद कर दी गई थी।


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