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Indian Railways: निजी ट्रेन देर से अथवा जल्दी पहुंची तो देना होगा जुर्माना, जानिए मसौदे में और क्‍या हैं बातें

मसौदे के अनुसार अगर रेलगाड़ी को गंतव्य तक पहुंचने में 15 मिनट से ज्यादा की देरी होती है तो इसे समय का पालन करने में विफलता माना जाएगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 06:15 AM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 06:15 AM (IST)
Indian Railways: निजी ट्रेन देर से अथवा जल्दी पहुंची तो देना होगा जुर्माना, जानिए मसौदे में और क्‍या हैं बातें
Indian Railways: निजी ट्रेन देर से अथवा जल्दी पहुंची तो देना होगा जुर्माना, जानिए मसौदे में और क्‍या हैं बातें

नई दिल्ली, प्रेट्र। रेलवे ने निजी संचालकों के लिए प्रदर्शन के प्रमुख संकेतकों को लेकर एक मसौदा जारी किया है, जिसके अनुसार अगर उनके द्वारा संचालित रेलगाडि़यां देरी से चलती हैं अथवा गंतव्य पर समय से पहले पहुंचती हैं तो उन्हें भारी जुर्माना देना होगा। बुधवार को जारी मसौदे में कहा गया कि निजी ट्रेन संचालकों को वर्ष में 95 प्रतिशत तक समय का पालन करना होगा। मसौदे के अनुसार, संचालकों को प्राप्त राजस्व के बारे में गलत जानकारी देने पर अथवा ट्रेन रद करने के बारे में सही जानकारी नहीं देने पर जुर्माना देना होगा। 

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मसौदे के अनुसार, अगर रेलगाड़ी को गंतव्य तक पहुंचने में 15 मिनट से ज्यादा की देरी होती है तो इसे समय का पालन करने में विफलता माना जाएगा। दस्तावेज में कहा गया है कि ऐसे मामले में निजी संचालक को समय की पाबंदी के मुकाबले में समयबद्धता में प्रति एक प्रतिशत कमी के लिए 200 किलोमीटर का अतिरिक्त ढुलाई शुल्क रेलवे को देना होगा। रेलवे ने कहा कि ढुलाई शुल्क 512 रुपए प्रति किलोमीटर होगा। यह वह शुल्क है जो निजी संचालक रेलवे की आधारभूत संरचना का इस्तेमाल करने के एवज में उसे देगा। यदि कोई निजी रेलगाड़ी कम से कम 10 मिनट पहले गंतव्य पर पहुंचती है, तो संचालक को रेलवे को जुर्माने के तौर पर 10 किलोमीटर का ढुलाई शुल्क देना होगा। 

रेल सेवा रद करने की हालत देना होगा हर्जाना 

अधिकारियों ने कहा कि ये कदम इसलिए है ताकि निजी रेलगाड़ि‍यां समय का पालन करें। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि किसी वजह से ट्रेन गंतव्य तक वक्त पर नहीं पहुंचती है तो रेलवे उसकी रकम अदा करेगा। संचालक की तरफ से रेल सेवा रद करने की हालत में वह हर्जाने के तौर पर उस रेलगाड़ी के लिए रेलवे को एक चौथाई ढुलाई शुल्क देगा। वहीं, यदि रेलवे की तरफ से रेल सेवा रद की जाती है तो रेलवे संचालक को उतना ही शुल्क देगा। यदि खराब मौसम, मवेशी का ट्रेन के नीचे आ जाना, किसी मनुष्य का रेलगाड़ी के नीचे आने, कानून व्यवस्था, सार्वजनिक प्रदर्शन, आपराधिक गतिविधि, दुर्घटना जैसे कारणों से किसी ट्रेन की समय की पाबंदी प्रभावित होती है तो किसी को भी हर्जाना नहीं देना होगा।

निजी ट्रेनों के लिए किराया नियामक बनाने से इनकार 

नई दिल्ली। रेलवे ने प्रस्तावित निजी रेलगाडि़यों के किराए के लिए नियामक बनाने की संभावना से इन्कार करते हुए कहा कि भारतीय परिवहन परिदृश्य में प्रतिस्पर्धा के जरिये किराए में वृद्धि के खतरे से निपटा जाना चाहिए। रेलवे द्वारा सार्वजनिक मसौदे में कहा गया कि इस योजना के जरिये 150 ट्रेनों का परिचालन निजी परिचालकों द्वारा किया जाएगा। इसमें किराया नियामक बनाने का प्रावधान नहीं है।

दस्तावेज में कहा गया कि किसी भी तरह के आर्थिक नियमन से परियोजना के राजस्व पर असर पड़ेगा। भारतीय परिवहन परिदृश्य प्रतिस्पर्धी है और बाजार में पर्याप्त स्पर्धा है। उल्लेखनीय है कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने पहले कहा था कि मंत्रालय भविष्य में नियामक प्राधिकरण बनाने पर विचार कर रहा है। मसौदे में कहा गया कि विभिन्न संस्थाओं और उनके कार्यो को नियंत्रित करने के लिए भविष्य में देश में रेल नियामक संस्था बनाने की संभावना है। 


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