Indian Railways: कोहरे के कारण शताब्दी एक्सप्रेस हुई लेट, यूएसए जाने वाली फ्लाइट छूटी, जानें उपभोक्ता फोरम ने क्या दिया फैसला
प्रकाश और सीमा शर्मा अमेरिका में रहते हैं। अमेरिका जाने के लिए 22 दिसंबर 2017 को सुबह चार बजे इनकी दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डे से फ्लाइट थी। 21 दिसंबर 2017 को वह शताब्दी एक्सप्रेस से ग्वालियर से दिल्ली के लिए निकले थे।
ग्वालियर, राज्य ब्यूरो। यूएसए जाने वाले परिवार ने शताब्दी एक्सप्रेस के लेट होने से फ्लाइट छूटने पर ग्वालियर उपभोक्ता फोरम में क्षतिपूर्ति का दावा किया था। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम ने उस दावे को खारिज कर दिया है। फोरम ने कहा कि कोहरे के कारण ट्रेन लेट होना सेवा में कमी नहीं है, क्योंकि देरी किसी कर्मचारी की वजह से नहीं हुई। कोहरे में ट्रेन को तेज चलाकर दूसरे यात्रियों की जान खतरे भी नहीं डाल सकते हैं, इसलिए क्षतिपूर्ति नहीं दी जा सकती।
शताब्दी एक्सप्रेस करीब पौने दो घंटे रही लेट
ज्ञात हो कि प्रकाश और सीमा शर्मा अमेरिका में रहते हैं। अमेरिका जाने के लिए 22 दिसंबर 2017 को सुबह चार बजे इनकी दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डे से फ्लाइट थी। 21 दिसंबर 2017 को वह शताब्दी एक्सप्रेस से ग्वालियर से दिल्ली के लिए निकले थे। ग्वालियर स्टेशन पर शताब्दी एक्प्रेस करीब एक घंटा 45 मिनट लेट आई थी। इस संबंध में स्टेशन पर पूछने पर बताया गया कि एक घंटा 45 मिनट देरी से ट्रेन दिल्ली पहुंचेगी, लेकिन सुबह तीन बजे ट्रेन दिल्ली पहुंची।
परिवार को दिल्ली स्टेशन से आइजीआई एयरपोर्ट पहुचंने भी समय लग गया। इस कारण अमेरिका जाने वाली फ्लाइट छूट गई। ऐसे में अमेरिका की फ्लाइट में जो टिकट बुक कराए थे, वह बेकार हो गए। दूसरी फ्लाइट के टिकट 73 हजार रुपये में मिले। होटल में रुकने का भी खर्च 20 हजार रुपये आया। मुख्तयारनामे के माध्यम से माधोगंज निवासी प्रहलाद ने नोटिस दिया था, लेकिन रेलवे द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद उपभोक्ता फोरम में दावा पेश कर प्रकाश और सीमा शर्मा ने रेलवे से तीन लाख 47 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति मांगी थी।
दूसरे यात्रियों के जीवन को खतरे में नहीं डाल सकते
फोरम के नोटिस पर उत्तर मध्य रेलवे ने जवाब पेश किया। रेलवे की ओर से तर्क दिया गया कि कोहरे में ट्रेन को सुरक्षित चलाया जाता है। इससे दूसरे यात्रियों की जान को खतरे में नहीं डाला जा सकता। दिसंबर में कोहरा अधिक रहता है, ऐसी स्थिति में ट्रेन की स्पीड नहीं बढ़ाई जा सकती। यह परिवाद सुनवाई योग्य नहीं है। फोरम ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दावा खारिज कर दिया। केस लड़ने का खर्च भी परिवादी को ही वहन करना होगा।