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Indian Railways: एसी थ्री टायर इकोनामी का पहला सबसे सस्‍ता कोच बनकर हुआ तैयार, जानें इसकी खूबियां

इसमें बर्थ की संख्या 72 से बढ़ाकर 83 कर दी गई है। हर नए कोच में ज्यादा चौड़े और एक दिव्यांग अनुकूल प्रवेश द्वारा वाला टायलेट दिया गया है। यात्रियों की सुविधा के मद्देनजर कई सुधार किए गए हैं जैसे हर बर्थ के लिए एसी वेंट उपलब्ध कराए गए हैं।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2021 12:13 AM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 06:58 AM (IST)
Indian Railways: एसी थ्री टायर इकोनामी का पहला सबसे सस्‍ता कोच बनकर हुआ तैयार, जानें इसकी खूबियां
रेलवे का पहला एसी थ्री टायर इकोनामी का पहला कोच बनकर तैयार

नई दिल्ली, प्रेट्र। रेलवे का पहला एसी थ्री टायर इकोनामी का पहला कोच बनकर तैयार है। इसे वातानुकूलित रेल यात्रा का दुनिया का सबसे सस्ता और सर्वश्रेष्ठ पर्याय बताया जा रहा है। कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में बने इस एलएचबी कोच को अब आगे के ट्रायल के लिए लखनऊ स्थित अनुसंधान, डिजायन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) भेजा जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि इन कोचों का किराया कम होगा और यह वर्तमान एसी थ्री टायर और नान एसी स्लीपर के बीच होगा। इसकी परिकल्पना रेल कोच फैक्ट्री ने की थी और इसके डिजायन पर अक्टूबर, 2020 में युद्धस्तर पर काम शुरू हुआ था। 

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इस तरह किया गया कोच में बदलाव

इसमें बर्थ की संख्या 72 से बढ़ाकर 83 कर दी गई है। हर नए कोच में ज्यादा चौड़े और एक दिव्यांग अनुकूल प्रवेश द्वारा वाला टायलेट दिया गया है। यात्रियों की सुविधा के मद्देनजर कई सुधार किए गए हैं जैसे हर बर्थ के लिए एसी वेंट उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा दोनों तरफ फोल्डिंग टेबल और बोटल, मोबाइल फोन व मैग्जीन होल्डर्स भी उपलब्ध कराए गए हैं। हर बर्थ के लिए पढ़ने के लाइट और मोबाइल चार्जिग प्वाइंट भी लगाए गए हैं। मिडिल और अपर बर्थ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी का डिजायन बदला गया है। वर्तमान और आगामी वित्त वर्ष में फैक्ट्री की योजना 248 ऐसे कोच तैयार करने की है।

83 सीटों का कोच बनाने के लिए केबिन को पहले की तुलना में थोड़ा छोटा किया जा रहा है, वहीं बेड रोल रखने वाली जगह को भी सीट के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इस तरह 11 सीटें एक डिब्बे में अधिक हो रही हैं। इस तरह 20 डिब्बों की ट्रेन में 220 सीटें अतिरिक्त हो जाएंगी। 

इससे जहां लोगों को वेटिंग से छुटकारा मिलेगा, वहीं रेलवे की आमदनी भी बढ़ेगी। नए कोच के डिजाइन में प्रत्येक ट्रेन में 220 यात्री अधिक सफर कर सकेंगे। डिब्बों के आकार में बदलाव नहीं किया गया है, बल्कि सीटों की संख्या को बढ़ाया जा रहा है। इन हाईस्पीड ट्रेनों में स्लीपर कोच की मांग कम होती जाएगी, क्योंकि इन ट्रेनों में एसी क्लास के ही डिब्बे लगेंगे। इसके पीछे तर्क यह है कि स्लीपर क्लास में खिड़की खोली जाती है, जिससे ट्रेन की स्पीड पर असर पड़ता है।

गौरतलब है कि वंदे भारत एक्सप्रेस की तर्ज पर अन्य ट्रेनों को भी 130 या 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ाने की योजना है। दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने की योजना है। इसके लिए कोच में भी बदलाव किया जा रहा है। 


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