राजनीति को करियर के तौर पर नहीं देखतीं अधिकतर महिलाएं, जानें क्या है वजह
महिलाओं का कहना है कि सक्रिय राजनीति में भागीदारी पर उन्हें कई तरह की बाधाओं से गुजरना पड़ता है। इस वजह से वह इसे कॅरियर के रूप में नहीं देखती।
नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की बात जब आती है तो आंकड़े बेहद निराशाजनक तस्वीर पेश करते हैं। देश की संसद में महिलाओं की भागीदारी का औसत सिर्फ 12 फीसद है। हालांकि, महिला मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। महिलाओं का कहना है कि सक्रिय राजनीति में भागीदारी पर उन्हें कई तरह की बाधाओं से गुजरना पड़ता है। इस वजह से वह इसे कॅरियर के रूप में नहीं देखती।
रिपोर्ट में महिलाओं और राजनीति को कई नजरियों से देखा गया
भारतीय राजनीति में महिलाओं की स्थिति और उनकी धारणाओं के बारे में लोकनीतिसीएसडीएस और कोनराड एडनॉयर स्टिफ्टिंग की ओर से गत दिवस एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में महिलाओं और राजनीति को कई नजरियों से देखा गया है। यह रिपोर्ट देशभर की महिलाओं के बीच एक सर्वेक्षण पर आधारित है, इसमें राजनीति में भागीदारी और प्रतिनिधित्व करने के विभिन्न आयामों पर महिलाओं की धारणा के बारे में पता लगाया गया है।
रिपोर्ट में सामने आया है कि सामाजिक आर्थिक वर्ग भी चुनावी गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी को निर्धारित करता है। उच्च सामाजिक और आर्थिक वर्ग की महिलाएं निम्न सामाजिक और आर्थिक वर्ग की तुलना में चुनावी राजनीति में अधिक सक्रिय पाई गईं। अध्ययन में पाया गया कि मतदाताओं के रूप में महिलाओं की
भागीदारी में पिछले कुछ वर्षों में तेजी देखी गई है।
राजनीति में अपना कॅरियर के एक लिए चौथाई महिलाएं ही उत्सुक
यद्यपि महिला उम्मीदवारों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, फिर भी एक व्यापक अंतर मौजूद है। रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीति में अपना कॅरियर बनाने के लिए केवल एक चौथाई महिलाएं ही उत्सुक होती हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इसे अपने कॅरियर के रूप में चुनेंगी तो 61 फीसद ने इन्कार कर दिया, जबकि केवल 28 फीसद महिलाओं ने ही सहमति जताई। 12 फीसद महिलाएं ऐसी थीं, जिन्होंने अपनी राय व्यक्त नहीं की।
पार्टियां हमेशा टिकट देते समय पुरुष उम्मीदवार पसंद करती हैं
एक प्रश्न पूछे जाने पर कि यदि एक महिला और पुरुष समान रूप से अच्छे उम्मीदवार हैं तो लगभग 44 फीसद
महिलाओं ने सहमति जताई कि पार्टियां हमेशा टिकट देते समय पुरुष उम्मीदवार पसंद करती हैं। केवल 15 फीसद महिलाओं ने इस पर असहमति जताई और 12 फीसद ने कोई उत्तर नहीं दिया। वहीं, 29 फीसद की राय मिली-जुली रही। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इस बात से सहमत हैं कि ‘एक पुरुष के खिलाफ महिला के जीतने की संभावना कम होती है, इसलिए महिलाओं को पुरुषों के खिलाफ नहीं लड़ना चाहिए।’ इस कथन पर प्रत्येक पांच में से दो महिलाएं असहमत थीं।
राजनीति में महिलाओं के जाने में आने वाली बाधाओं के बारे में पूछे जाने पर एक तिहाई महिलाओं ने तो कोई जवाब नहीं दिया। कुछ महिलाओं ने बताया कि समाज का पितृसत्तात्मक मानदंड सबसे बड़ी बाधा है। दूसरी बड़ी बाधा घरेलू जिम्मेदारियां और तीसरी बाधा व्यक्तिगत कारण थे।